धर्म/अध्यात्म

सफलता की कुंजी : कार्य की सफलता के लिए खुद से करें ये सवाल

जिंदगी में हमेशा सब कुछ अच्छा और सही ही हो, ऐसा कहाँ होता है. जिंदगी पूरी तरह परफेक्ट नहीं होती है. धन की इच्छा, नौकरी, सेहत या रिश्ते कोई न कोई परेशानी चलती ही रहती है. गलतियों या दुखों से कब तक बचा जा सकता है. हमारी कोशिशें हमें बिलकुल सही नहीं करतीं. वे केवल हमारी गलतियों को कम करती हैं. कुछ नया करने की चाहत रखने वालों को सवालों से नहीं डरना चाहिए. थोड़ी सी जमीन मिलते ही जिज्ञासाओं के पंख फैलने लगते हैं. ऐसा नहीं कि सिर्फ दूसरों से सवाल पूछना चाहिए. जरूरत पड़ने पर खुद से भी सवाल करते रहना चाहिए. यह रास्ता आपको आपके लक्ष्यों और सपनों के ज्यादा करीब ले जाता है.

हर व्यक्ति के सपने और समस्याएं अलग होती हैं. उनके प्राप्त करने के तरीके जुदा हो सकते हैं. इसे दूसरे शब्दों में समझते हैं. एक खरगोश एक नदी पार करना चाहता था. उस नदी में काफी पानी था. खरगोश यही सोच रहा था कि कैसे नदी पार किया जाए. तभी वहाँ ऊँट आया और उसने कहा इतनी सी समस्या है, नदी में मात्र घुटने भर पानी है, उसे आराम से पार किया जा सकता है. वह चलते हुए नदी पार कर गया. सचमुच नदी में ऊंट के घुटने तक ही पानी था.

ध्यान दें तो दोनों ही अपनी जगह सही थे. खरगोश छोटा था उसके लिए ऊंट के घुटने भर पानी का अर्थ खरगोश की ऊंचाई के चार गुने से ऊपर पानी था. वह नदी में बह भी सकता था. खरगोश ने नदी नहीं पार करने का निर्णय लिया जबकि ऊंट के लिए इस पानी की गहराई कोई अर्थ नहीं रखती थी इसलिए उसने नदी पार कर ली.
इसीलिए कहा जाता है कि किसी के लिए कोई पहाड़ जैसी समस्या होती है तो किसी के लिए पहाड़ भी कोई समस्या नहीं होती है. जीवन में सफलता की कुंजी यही है कि आप स्वयं से सवाल करें और अपनी क्षमताओं के अनुरूप निर्णय लें. आत्मवंचना न करें.

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