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APES ने की सूती धागे के निर्यात पर नियंत्रण की मांग, परिधान उद्योग पर पड़ रहा प्रभाव

अपैरल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (एईपीसी) ने सरकार से सूती धागे के निर्यात पर अंकुश की मांग की है। एईपीसी ने कहा है कि निर्यात पर अंकुश से इसकी कीमतों को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। साथ ही घरेलू मैन्यूफैक्चरर्स के लिए इसकी आपूर्ति भी बढ़ाई जा सकेगी। एईपीसी के चेयरमैन ए शक्तिवेल ने कहा कि सरकार की ओर से कई प्रयासों के बावजूद सूती धागे के दाम पिछले चार माह के दौरान लगातार बढ़ रहे हैं। इससे पूरी वैल्यू चेन प्रभावित हो रही है।

शक्तिवेल ने कहा, ‘हम घरेलू मैन्यूफैक्चरर्स के लिए धागे की आपूर्ति बढ़ाने के लिए तत्काल हस्तक्षेप का आग्रह करते हैं। हमारा सुझाव है कि सूती धागे के निर्यात को कुछ नियंत्रित किया जाए।’ उन्होंने बताया कि कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआइ) ने छोटे मिल मालिकों के लिए कपास की कीमतों में कटौती की है, लेकिन इससे सूती धागे के दाम घटे नहीं हैं। सूती धागे की कीमतों में बढ़ोतरी और इसकी उपलब्धता को लेकर अनिश्चितता की वजह से निर्यातकों के लिए अपने ग्राहकों के ऑर्डर पूरा करना मुश्किल हो रहा है।

सूती धागे की महंगाई से हैंडलूम और पावरलूम बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। इनका उत्पादन ठहर गया है। इससे घरेलू उद्योग पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। एईपीसी के चेयरमैन ने कहा कि घरेलू और निर्यात में सक्षम उद्योग की कीमत पर अगर धागे का निर्यात होता रहा तो इस सेक्टर पर बहुत बुरा असर पड़ेगा। उन्होंने सूती धागे पर एक्सपोर्ट ड्यूटी लगाने का सुझाव दिया। इससे घरेलू स्तर पर धागे की कीमतें संभलेंगी और वैल्यू एडिशन व संबंधित रोजगार बढ़ेंगे। इससे परिधान निर्यात बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।

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