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कानपुर हृदय रोग संस्थान में लगी आग से दो बुजुर्गों की गई जान, अन्य मरीजों को सुरक्षित किया गया शिफ्ट

शहर में रविवार की सुबह करीब साढ़े सात बजे लक्ष्मीपत सिंहानिया हृदय रोग संस्थान के क्रिटिकल केयर यूनिट (सीसीयू) के स्टाेर रूम में आग लगने से अफरा तफरी मच गई। पूरी बिल्डिंग में धुआं भर जाने से मरीजों की परेशानी होना शुरू हो गया और सेंट्रल एयरकंडिशनर बिल्डिंग में धुआं भरने के बाद चीख-पुकार मच गई। आनन-फानन कर्मचारियों ने शीशे तोड़कर लोगों को बाहर निकाला। धुएं की वजह से दो बुजुर्ग मरीजों की दम घुटने से मौत हो गई। मरीजों को हृदय रोग संस्थान की नई ओपीडी बिल्डिंग में शिफ्ट किया गया है। गंभीर मरीजों को हैलट अस्पताल के वार्ड-तीन में शिफ्ट कराया गया है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रो. आरबी कमल ने मौत की पुष्टि की है।

सुबह शार्ट सर्किट से लगी आग: हृदयरोग संस्थान के मुख्य भवन के सीसीयू के पीछे फर्स्ट फ्लोर पर स्टोर रूम में सुबह आठ बजे शार्ट सर्किट होने से आग लग गई। आग की लपटें सीसीयू एवं संस्थान के दाहिनी तरफ पहुंचकर विकराल हो गई। तेज धुआं पूरी बिल्डिंग में भर गया और मरीजों व तीमारदारों में भगदड़ मच गई। चीख-पुकार मचने पर कर्मचारियों एवं आसपास के लोग दौड़ पड़े।

आनन-फानन आइसीयू और वार्ड से मरीजों को बाहर निकालना शुरू किया गया। धुआं बाहर निकालने के लिए खिड़कियों एवं आइसीयू के शीशे तोड़ दिए गए। सफाई कर्मचारी रामभरोसे ने बताया कि आग लगने पर धुआं पहली और दूसरी मंजिल पर भी भर गया। इससे ऊपरी मंजिल के कमरों की खिड़कियों के शीशे तोड़ दिए गए और मरीजों को चद्दर के सहारे ही नीचे उतरा गया।

दो बुजुर्गों की दम घुटने से हुई मौत: धुएं की वजह से दम घुटने से घाटमपुर के नौरंगा निवासी 80 वर्षीय रसूलन बीबी तथा हमीरपुर के राठ निवासी टेकचंद्र ने दम तोड़ दिया। टेकचंद्र के स्वजन के मुताबिक वह वेंटीलेटर पर थे। आग लगने के बाद धुआं भरते ही डाक्टरों ने उन्हें बाहर ले जाने के लिए कहा, लेकिन उनकी मौत हो चुकी थी। सूचना मिलने पर जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रो. आरबी कमल एवं संस्थान के जिम्मेदार, पुलिस आयुक्त असीम अरुण, जिलाधिकारी आलोक कुमार तिवारी, अपर पुलिस आयुक्त आकाश कुलहरि समेत अन्य अधिकारी घटनास्थल पर पहुंच गए।

नई बिल्डिंग में मरीज शिफ्ट : अस्पताल में कुल 145 मरीज भर्ती हैं। इसमें 15 एनजीओ प्लास्टि, दो ओपन और छह हार्ट सर्जरी के पेशेंट भर्ती रहे। ऑपेरशन और एंजियोप्लास्टी के मरीजों को शिफ्ट किया गया। सामान्य मरीजों को हृदय रोग संस्थान की नई बिल्डिंग में शिफ्ट किया गया है। प्राचार्य ने बताया कि सभी सुरक्षित हैं, उन्हें किसी तरह की कोई दिक्क्त नहीं है।

गंभीर मरीज हैलट भेजे गए: हृदय रोग संस्थान से गंभीर मरीजों को हैलट भेजा गया है। वहां के सर्जरी के वार्ड तीन में भर्ती किया गया है। जहां ऑक्सीन एवं वेंटीलेटर के पहले से इंतजाम हैं।

न्यूरो साइंस सेंटर बनेगा वैकल्पिक हृदय रोग संस्थान: प्राचार्य प्रो. आरबी कमल ने बताया कि हैलट परिसर स्थित न्यूरो साइंस सेंटर को फिलहाल वैकल्पिक हृदय रोग संस्थान बनाया जाएगा। इसके लिए न्यूरो साइंस सेंटर को खोलने के आदेश दे दिए हैं। आवश्यक तैयारी की जा रही है।

अस्पताल के सफाई कर्मी के साहस से बची जान: आग लगने के बाद कार्डियोलॉजी के सफाई कर्मचारियों ने साहस का परिचय दिया। आग लगते ही सभी सफाई कर्मचारी मरीजों को अस्पताल के स्टॉफ की मदद से बाहर निकालने में जुट गए। इस दौरान कुछ कर्मचारियों की हल्की चोटें भी आई हैं।

टेकचंद्र की मौत की वजह हादसा नहीं: कार्डियोलॉजी प्रशासन का कहना है कि टेकचंद्र की मौत की वजह हादसा नहीं है। टेकचंद की मृत्यु इस हादसे की वजह से नहीं हुई है बल्कि उनकी मौत सुबह हो चुकी थी। हादसा होने से ठीक पांच मिनट पहले ही परिवार को उनका मृत्यु सर्टिफिकेट दे दिया गया था। अस्पताल प्रशासन ने हादसे में उनकी मृत्यु से इनकार किया है।

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