पटना: इस बार शहरों की तुलना में गांवों में अधिक कोरोना संक्रमित मिलने लगे हैं। होली के पहले और उसके बाद दूसरे प्रदेशों से बिहार आने वालों की ठीक से जांच नहीं होना, संक्रमितों का आइसोलेशन नहीं होना, घर में बीमार होने पर छिपाना और शारीरिक दूरी-मास्क जैसे नियमों का पालन नहीं करना इसका मुख्य कारण है। जिलों से मिले आंकड़े बताते हैैं कि बिहार के अधिसंख्य जिले में ग्रामीण इलाके में संक्रमित लोगों की संख्या शहरी मरीजों से ज्यादा है। पटना और गया जैसे जिले इसका अपवाद हैैं, क्योंकि यहां शहरी आबादी वाला क्षेत्र बड़ा है।
जांच और आइसोलेशन नहीं होने से गांव हुए प्रभावित
विशेषज्ञ मानते हैैं कि पिछली बार बिहार के गांवों में संक्रमितों की संख्या इसलिए कम थी, क्योंकि अधिक संक्रमण दर वाले राज्यों या शहरों से आने वाले बिहार के लोगों की जांच और क्वारंटाइन का बेहतरीन इंतजाम किया गया था। पिछले वर्ष कुछ मरीज मिले, तभी लॉकडाउन लग गया। इसके बाद जो भी लोग आए, उनकी ठीक से जांच हुई और संक्रमित पाए जाने पर गांव के बाहर उन्हें क्वारंटाइन किया गया। इस बार ऐसा नहीं हो पा रहा।
अभी भी ट्रेन-बस से उतरकर सीधे गांव पहुंच जाते हैं लोग
अभी भी निजी वाहनों या बसों से लोग सीधे अपने गांव पहुंच रहे और उनकी वजह से संक्रमण फैल रहा। दिल्ली, महाराष्ट्र जैसे प्रदेशों से अभी भी बसें और ट्रेनें आ रहीं। कुछ चुनिंदा स्टेशनों पर कड़ाई है, लेकिन यह भी सच है कि अधिसंख्य यात्री बिना जांच के गांव की तरफ निकल जा रहे।
स्वस्थ खानपान और जीवनशैली की वजह से कम परेशान थे गांव
अभी तक के अध्ययन यही बताते हैैं कि कोरोना संक्रमण में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता की मजबूती-कमजोरी का महत्व सबसे अधिक है। कोरोना संक्रमित होने पर इसी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए जैविक और औषधीय गुण वाले पारंपरिक खानपान पर जोर दिया जाता है। बिहार के गांवों में अभी भी ऐसे ही खांटी भारतीय खानपान की आदत बरकरार हैैं। लोगों को प्राकृतिक रूप से विटामिन सी और डी की भरपूर मात्रा प्राप्त होती है। यह कोरोना से लडऩे में मददगार साबित होता है। संक्रमित लोगों के सीधे संपर्क में आने से गांवों में लोग संक्रमित तो हो रहे, लेकिन तेजी से स्वस्थ भी हो रहे। वैसे लोग ही गंभीर हो रहे, जो बीमारी को लंबे समय तक छिपा रहे, जिन्हें पहले से कोई बीमारी है या फिर शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है।
सहरसा
सहरसा जिले में एक सप्ताह पूर्व तक 507 गांवों में से मात्र 131 गांवों में 250 लोग संक्रमित थे। अभी जिले 1093 संक्रमित ग्रामीण इलाके के हैैं। 167 गांवों में 195 कंटेनमेंट जोन बनाए गए हैैं।
औरंगाबाद
जिले में 4282 कुल संक्रमित हैैं, जिनमें 3653 ग्रामीण इलाके के हैैं।
सिवान
सिवान में कुल 1971 संक्रमित मिले हैैं, जिनमें 1678 लोग विभिन्न गांवों के हैैं।