उत्तर प्रदेश : स्वास्थ्य विभाग को उपयोगी दवाओं की उपलब्धता तत्काल सुनिश्चित कराने के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दिए निर्देश
ऑक्सीजन उत्पादन के क्षेत्र में प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उत्तर प्रदेश ऑक्सीजन उत्पादन प्रोत्साहन नीति-2021 को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। इससे एलएमओ प्लांट, मेडिकल ऑक्सीजन, जिओलाइट, सिलेंडर, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, क्रायोजेनिक टैंकर और कंटेनर निर्माण इकाइयों में निजी निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा। इच्छुक इकाइयों को अपने प्रस्ताव अधिसूचना जारी होने के 6 महीने के अंदर देने होंगे।
राज्य सरकार के प्रवक्ता के अनुसार, प्रदेश में कोविड-19 से निपटने के लिए न्यूनतम 1200 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आवश्यकता है। इस नीति का मुख्य उद्देश्य प्रदेश में ऑक्सीजन के उत्पादन में पर्याप्त वृद्धि और कोविड-19 के कारण स्वास्थ्य संकट के निदान के लिए ऑक्सीजन की उपलब्धता सुनिश्चित कराना है। उत्तर प्रदेश में तरल चिकित्सीय ऑक्सीजन (लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन) की उत्पादन क्षमता 250.308 मीट्रिक टन है, जबकि एयर सेपरेशन यूनिट के माध्यम से उत्पादन क्षमता 88.84 मीट्रिक टन है।
ऑक्सीजन उत्पादन प्रोत्साहन नीति के तहत पात्र उद्यम उन्हें माना जाएगा, जिसमें 50 करोड़ रुपये से अधिक पूंजी निवेश किया गया हो। इस नीति के अंतर्गत औद्योगिक ऑक्सीजन का उत्पादन करने वाले उद्यमों को प्रोत्साहन से वंचित नहीं किया जाएगा।
नई नीति के तहत पूंजीगत उपादान (कैपिटल सब्सिडी) तीन सामान वार्षिक किस्तों में दिया जाएगा। बुंदेलखंड और पूर्वांचल में यह 25 प्रतिशत, मध्यांचल में 20 प्रतिशत और पश्चिमांचल में 15 प्रतिशत होगा। इसके अलावा बुंदेलखंड और पूर्वांचल में शत-प्रतिशत स्टांप ड्यूटी की प्रतिपूर्ति की जाएगी।
इसके लिए अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय समिति का गठन होगा। इस समिति में अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास विभाग, एमएसएमई व निर्यात प्रोत्साहन, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन, वित, स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन, न्याय और ऊर्जा विभाग के अपर मुख्य सचिव या प्रमुख सचिव भी शामिल होंगे। अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास विभाग के सचिव समिति के सदस्य सचिव व संयोजक होंगे। इस समिति में आवेदकों के प्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया जाएगा।
प्रदेश में कोविड और पोस्ट कोविड मरीजों में फैल रहे ब्लैक फंगस (म्युकर माइकोसिस) का इलाज सभी जिलों में मिलेगा। एसजीपीजीआई के चिकित्सा विशेषज्ञों की टीम जरूरत के हिसाब से जिले की टीम को परामर्श देती रहेगी। इस संबंध में एसजीपीजीआई के 12 डॉक्टरों की टीम भी गठित कर दी गई है। शनिवार को इस टीम ने चिकित्सकों को वर्चुअल प्रशिक्षण भी दिया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दो दिन पहले निर्देश दिया था कि ब्लैक फंगस के नियंत्रण और उसके उपचार की पुख्ता व्यवस्था की जाए। ऐसी स्थिति में राज्य स्तरीय सलाहकार समिति को पुख्ता रणनीति अपनाने का निर्देश दिया था। ऐसे में तय किया गया कि सभी मरीजों को राजधानी रेफर किए जाने के बजाय संबंधित जिलों में ही उपचार की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
क्योंकि सभी जिलों में नेत्र रोग विशेषज्ञ, ईएनटी सर्जन मौजूद हैं। सिर्फ गंभीर मरीजों को ही राजधानी रेफर किया जाए। जरूरत के मुताबिक एसजीपीजीआई की टीम संबंधित जिले के चिकित्सकों की टीम को सलाह देती रहेगी।
शनिवार को पीजीआई के निदेशक डॉ. आरके धीमन की अध्यक्षता में विशेष टीम ने प्रदेश के विभिन्न सरकारी व निजी मेडिकल कॉलेजों, अस्पतालों के डॉक्टरों को इलाज के बारे में प्रशिक्षण दिया। ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यशाला में डॉक्टरों को ब्लैक फंगस के रोगियों की पहचान, इलाज, सावधानियों आदि के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई।
शनिवार को टीम-9 की बैठक में मुख्यमंत्री ने प्रदेश में ब्लैक फंगस की स्थिति की जानकारी लेते हुए इस मामले में प्रो-एक्टिव रहने के निर्देश दिए है। सीएम ने स्वास्थ्य विभाग और चिकित्सा शिक्षा विभाग को निर्देश दिए कि विशेषज्ञों के परामर्श के अनुसार इसके उपचार में उपयोगी दवाओं की उपलब्धता तत्काल सुनिश्चित कराई जाए। उन्होंने कहा है कि लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए आवश्यक गाइडलाइन जारी कर दी जाएं।