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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद मातृभूमि को स्पर्श कर हुए भावुक कही ये बात। ….

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जब अपने पैतृक गांव पहुंचे तो सबसे पहले उन्होंने अपनी मातृभूमि को चरण स्पर्श किया. राष्ट्रपति ने इस दौरान कहा कि, इस बार देर से आया हूं, अगली बार जल्दी से आने का मौका मिले.

उन्होंने कहा कि, आज आपसे ज्यादा मुझे यहां आने की खुशी है. उन्होंने कहा कि, पथरी देवी से मैंने आशीर्वाद लिया और यहां आने से पहले मैंने, बाबा साहब की प्रतिमा पर माल्यापर्ण किया.

राष्ट्रपति ने बताया कि, मुख्यमंत्री जी ने बाबा साहेब की संगमरमर की बड़ी मूर्ति लगाने के निर्देश दिए हैं. इसके अलावा उन्होंने कहा कि, ग्राम पंचायत को अपना घर देने का फैसला सही लगता है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा है कि, महिलाओं से सम्बंधित योजनाओं को वहां संचालन किया जा सकता है. आगो उन्होंने बताया कि, मैं झलकारीबाई विद्यालय गया, शिवजी का मंदिर भी है, मैंने वहां दर्शन किया.

अपने संस्मरण बताते हुये कहा राष्ट्रपति ने कहा कि, आप भी नागरिक हैं और मैं भी. उन्होंने कहा कि, सपने में नहीं सोचा था कि, गांव से निकल कर राष्ट्रपति भवन तक पहुंच जाऊंगा. अपनी भावनाएं व्यक्त की. साथ ही उन्होंने बड़ी बात कहते हुये बताया कि, अब वो बात नहीं रही कि प्रतिष्ठित परिवार के लोग ही बड़े पदों पर आसीन होते थे.

उन्होंने विकास का कामों का जिक्र करते हुये कहा कि, फ्रेट कॉरिडोर का काम व्यापारियों को बहुत फायदा पहुंचायेगा. साथ ही उन्होंने कहा कि, यूपी वालों के लिए राष्ट्रपति भवन का रास्ता खुल गया है. आप भी वहां तक पहुंच सकते हैं.

राष्ट्रपति बनने की अपनी यात्रा का जिक्र करते हुये उन्होंने कहा कि, इस गांव और आपके स्नेह से मैं यहां तक पहुंचा हूं. मां- पिता का सम्मान आज किया गया जो हमारी परंपरा है.

2019 में यहां आने का कार्यक्रम तय था लेकिन दिल्ली में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के चलते आ नहीं सका. 2020 में कोरोना ने नहीं आने दिया. गांव के लोगों से लेकिन समपर्क बना रहा. गांव की मिट्टी और यादें मेरे साथ हमेशा रहती हैं.

भावुक होते हुये उन्होंने कहा कि, मेरा गांव मेरे हृदय में रहता है. इस धरती को शत शत नमन. मुख्यमंत्री जी ने दिल्ली में मुलाकात में कहा था कि बारिश होती रहेगी, आप परौंख चलिए.

गांव में विकास की बात करते हुये उन्होंने कहा कि, गांव में अच्छे मकान बन गए हैं. बाजार का दृश्य भी अच्छा लगा. पुष्पवर्षा के माध्यम से ग्रामीणों ने मेरा स्वागत किया. जसवंत सिंह, विनयपाल सिंह, हरिभान, चंद्रभान, दशरथ सिंह यादव इन मित्रों का मेरे जीवन में अहम स्थान है.

राममनोहर लोहिया जी को परौंख गांव बजरंगसिंह जी लाये थे जो दशरथ सिंह जी के रिश्तेदार रहे. 14-15 साल गांव में बिताए मैंने यहां की यादें भुलाई नहीं जा सकती. मैं हमेशा विद्यालय बनाने के लिए सोचता था, जिसके चलते झलकारीबाई विद्यालय बनाया.

राष्ट्रपति ने कहा कि, कोरोना महामारी ने दुनिया को झकझोर दिया है. सावधानी बरतने की ज़रूरत है. टेस्टिंग और टीकाकरण के लिए प्रभावी कदम उठाए गये हैं. मेरे स्वास्थ्य के लिए दुआएं देने वालों का बहुत आभार.

उन्होंने कहा कि, राष्ट्रपति भवन में गांव की याद आती रहती है. राष्ट्रपति भवन आपकी विरासत है आप सभी लोग आकर इसे देखें. मैं इसकी व्यवस्था करता हूं. आपको कष्ट हुआ होगा. मुझे आपको देखने की ललक थी. माताओं बहनों को देखकर मेरा आना यहां सार्थक हुआ.

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