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देश में 1 जुलाई 2017 को जीएसटी हुआ था लागू अब हुए इसको 4 साल पूरे

देश में 1 जुलाई 2017 को जीएसटी लागू किया गया था. जिसके 4 साल बीत जाने के बाद कई नागरिक 12% और 18% के इन दोनों स्लैबों को एक जीएसटी दर में विलय करने का सुझाव दे रहे हैं.

दरअसल जीएसटी में 12% और 18% स्लैब के तहत दो स्लैब को मर्ज करने की योजना कई महीनों से लंबित है. वहीं लोकल सर्कल्स की ओर से किए गए एक सर्वे में लोगों ने इन दोनों स्लैब को एक किए जाने की बात कही है.

बता दें कि सबसे पहले 15वें वित्त आयोग ने दोनों स्लैब को मर्ज करने की सिफारिश की थी. विलय से 12% और 18% के बीच एक मानक GST दर आने की संभावना है

जिसका अर्थ है कि जो प्रोडक्ट वर्तमान में 12% से कम हैं, जैसे कि मोबाइल फोन, हवाई टिकट, जमे हुए मांस महंगे हो जाएंगे, जबकि फर्नीचर, टीवी, घरेलू उत्पाद जैसे उत्पाद सस्ते हो जाएंगे.

GST के 4 साल पूरे होने पर लोकल सर्कल्स के सर्वे प्लेटफॉर्म ने GST दरों के 12% और 15% के विलय और GST के उनके समग्र मूल्यांकन पर नागरिकों के बीच एक सर्वे किया है. सर्वे को भारत के 321 जिलों में किया गया, जिसमें कुल 35 हजार से ज्यादा लोगों ने अपनी प्रतिक्रियाएं दी.

वर्तमान जीएसटी दर में 4-स्तरीय टैक्स संरचना शामिल है. जिसमें 5% की सबसे कम दर, 12% और 18% की मानक दर और 28% की उच्च दर शामिल है. इन जीएसटी दरों को इस तरह व्यवस्थित किया गया था

कि सभी आवश्यक सेवाओं और कुछ खाद्य पदार्थों को सबसे कम दर में रखा गया. वहीं अन्य विलासिता के सामान, सेवाओं और डी-मेरिट सामान को उच्चतम दर में रखा गया.

वहीं पिछले 4 वर्षों में बहुत सारे नागरिक जीएसटी के सरलीकरण के मुद्दों को उठा रहे हैं. लोकल सर्कल्स के सर्वे में तकरीबन 66% भारतीयों का मानना ​​है कि जीएसटी को आगे जाकर 2 या 3 दर संरचना में बदला जाना चाहिए. सर्वे में इस सवाल को 9,576 प्रतिक्रियाएं मिलीं हैं.

देश में माल और सेवा कर के 12% और 18% स्लैब के तहत दो स्लैब को एकल जीएसटी दर में विलय करने की चर्चा चल रही है. सर्वे में 55% नागरिकों के बहुमत ने 12% और 18% GST दर को 15% GST की एकल दर में विलय का समर्थन किया है. सर्वे में इस सवाल को 8,406 प्रतिक्रियाएं मिलीं हैं.

लोकल सर्कल्स के अनुसार उन्हें 2017 से हजारों शिकायतें मिली हैं कि ज्यादातर सर्विस प्रोवाइडर सर्विस के लिए इनवॉयस देने से बचते हैं. सर्वे में नागरिकों से पूछा गया कि सरकार को सेवाओं पर जीएसटी के साथ क्या करना चाहिए जो वर्तमान में 18% है.

जिसके जवाब में 52% नागरिकों का कहना है कि सरकार को इसे 12% जीएसटी दर तक कम करना चाहिए और 16% ने कहा कि इसे 15% तक कम किया जाना चाहिए.

सर्वे के निष्कर्ष बताते हैं कि 68% नागरिक चाहते हैं कि सेवाओं पर जीएसटी दर कम की जाए. जिनमें से ज्यादातर का मानना है कि यह 12% जीएसटी दर पर हो. सर्वे में इस सवाल को 8,449 प्रतिक्रियाएं मिलीं हैं.

आम नागरिकों के बोझ को कम करने के लिए और महंगाई दर को ध्यान में रखते हुए 2017 में जीएसटी को लागू किया गया था. सर्वे नागरिकों से यह जानने की कोशिश की गई कि उपभोक्ता के रूप में वे भारत में जीएसटी के 4 वर्षों का मूल्यांकन कैसे करेंगे.

जिसके जवाब में 15% ने बेहतरीन तो 30% ने इसे अच्छा और 16% ने इसे औसत कहा है. कुल मिलाकर 45% उपभोक्ताओं ने जीएसटी में परिवर्तन के लिए खुश हैं जबकि 29% इससे नाखुश हैं. सर्वे में इस सवाल को 8,653 प्रतिक्रियाएं मिलीं हैं.

बता दें कि भारत के 321 जिलों में रहने वाले 35 हजार से ज्यादा लोग इस सर्वे में शामिल हुए था. जिसमें 64 प्रतिशत पुरुष और 36 प्रतिशत महिलाएं थीं. सर्वे में 43% नागरिक टियर-1 या मेट्रो शहरों से, 29% टियर-2 जिलों से जबकि 28% टियर-3, 4 या ग्रामीण जिलों में रहने वाले नागरिक हैं.

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