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कोरोना के डेल्टा वेरिएंट है 60 % ज्यादा संक्रामक

कोरोना वायरस डेल्टा वेरिएंट दुनिया के कई देशों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है. अब इसको लेकर एक नई स्टडी सामने आई है. स्टडी में पाया गया है कि यह वेरिएंट एल्फा वेरिएंट के मुकाबले 60 फीसदी ज्यादा संक्रामक है. स्टडी में यह भी पाया गया है कि ईस वेरिएंट से संक्रमण फैलने का खतरा सबसे ज्यादा है.

स्कोटिश रिसर्चर्स ने पिछले महीने इसपर विस्तार से स्टडी की है. स्टडी में उन्होंने पाया कि इस वेरिएंट से बुजुर्गों में संक्रमण फैलने का खतरा भी बहुत ज्यादा है. वहीं, पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड ने अपनी स्टडी में पाया था कि इस वेरिएंट का असर बच्चों और युवाओं में भी देखने को मिल सकता है.

इस बीच, पीएचई ने कहा कि फाइजर और एस्ट्राजेनेका द्वारा बनाई गई कोविड -19 वैक्सीन कोरोना वायरस के डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ 90 फीसदी से अधिक सुरक्षा प्रदान करती है.

पुणे के इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (ICMR-NIV) के रिसर्चर्स ने दावा किया है कि भारत बायोटेक का Covaxin Sars-CoV-2 के डेल्टा और बीटा वेरिएंट को बेअसर करने में भी कारगर है.

पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड के एक अध्ययन में पाया गया कि फाइजर-बायोएनटेक वैक्सीन दूसरी खुराक के दो सप्ताह बाद बी.1.617.2 वेरिएंट के खिलाफ 88 प्रतिशत प्रभावी था.

इसकी तुलना B.1.1.7 स्ट्रेन के खिलाफ 93 प्रतिशत प्रभावशीलता के साथ की जाती है, जो कि ब्रिटेन का प्रमुख कोविड वेरिएंट है. पीएचई ने कहा कि एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की दो खुराक बी.1.617.2 वेरिएंट के खिलाफ 60 प्रतिशत प्रभावी थी, जबकि केंट वेरिएंट के खिलाफ 66 प्रतिशत तक प्रभावी थी.

फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने बताया कि कोरोना वैक्सीन यूके वैरिएंट B.1.1.7 में 86 फीसदी, ब्राजील के P.1 स्ट्रेन में 61 फीसदी, साउथ अफ्रीका के B.1.351 स्ट्रेन में 56 फीसदी तक असरदार रही.

रिसर्चर्स ने बताया कि फाइजर वैक्सीन कोरोना संक्रमण के खिलाफ 94 फीसदी, मोडर्ना वैक्सीन 80 फीसदी, जॉनसन एंड जॉनसन 65.5 फीसदी और एस्ट्राजेनका 60 फीसदी तक असरदार है.

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