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दिल्ली में स्कूल खोलने को लेकर डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कही ये बड़ी बात। …

कोरोना की वजह से दिल्ली में स्कूलों को बंद हुये 2 साल से ज़्यादा का वक्त हो चुका है. ऑनलाइन क्लास के जरिए ही बच्चों को पढ़ाया जा रहा है, लेकिन इस बीच घर पर ऑनलाइन क्लास को लेकर बच्चों के साथ पैरेंटस को भी काफ़ी परेशानी झेलनी पड़ रही है.

किसी के पास मोबाइल नहीं है तो किसी का नेटवर्क ख़राब है. किसी को ऑनलाइन क्लास में कुछ समझ नहीं आता तो कोई वर्कशीट को लेकर परेशान है. इन्हीं परेशानियों को समझने और

उसके बाद इसके समाधान को लेकर काम करने के लिये दिल्ली सरकार ने सभी स्कूलों में मेगा पीटीएम यानि पैरेंटस टीचर मीटिंग का आयोजन किया है. इसके ज़रिये घर पर पैरेंट्स और बच्चों को ऑनलाइन क्लास लेने में आ रही परेशानी पर चर्चा की जायेगी.

ये पीटीएम 19 जुलाई से लेकर 31 जुलाई तक चलायी जायेगी. इस पीटीएम के ज़रिये शिक्षक बच्चों को 10वीं और 12वीं क्लास की बदली हुई परीक्षा नीति के बारे में भी समझायेंगे साथ ही इस पर भी पैरेंट्स और टीचर को समझाया जायेगा कि आगे ऑनलाइन क्लास किस तरह से चलेगी.

इस मेगा पीटीएम का जायज़ा लेने दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया भी पूर्वी दिल्ली के कोंडली इलाक़े के एक सरकारी स्कूल में पंहुचे थे. यहां मनीष सिसोदिया ने कई बच्चों और उनके पैरेंटस से बातचीत की

और उनकी परेशानियों के बारे में जाना. इस पर जब मनीष सिसोदिया से सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि परेशानियां तो आ रही हैं ऑनलाइन क्लास के ज़रिये, लेकिन अभी स्कूल खोलने को लेकर फ़ैसला नहीं लिया जा सकता.

मनीष ने कहा कि थर्ड वेव को लेकर भी चिंता सता रही है, ऐसे में बच्चे स्कूल में कैसे रहेंगे ये सब देखना भी ज़रूरी होगा. फ़िलहाल इस मामले में रिस्क नहीं लिया जा सकता. इसके साथ ही जब मनीष सिसोदिया से पूछा गया कि एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया का भी एक बयान सामने आये हैं,

जिसमें उन्होंने कहा कि हमारे देश में बच्चों की इम्युनिटी काफ़ी बेहतर है ऐसे में स्कूल खोल देने चाहिये. इस पर मनीष ने जवाब देते हुये कहा कि हम उनसे भी कंसल्ट करेंगे इस बारे में अगर वो कह रहे हैं

तो उनकी बात पर भी विचार करेंगे. इसके साथ ही मनीष सिसोदिया ने कहा कि ऑवरऑल रिस्क तो है. ऐसे में बच्चों की हेल्थ और उनकी सेफ़्टी को देखते हुये इस तरह रिस्क लेना ठीक नहीं है.

इस बीच इस स्कूल में कुछ पैरेंट्स और बच्चों से भी हमने बात की जिसमें पैरेंट्स ने कहा कि सबसे ज़्यादा दिक़्क़त मोबाइल को लेकर हो रही है. घर पर एक ही मोबाइल है जिसको लेकर पैरेंट्स को काम पर जाना होता है ऐसे में बच्चों की ऑनलाइन क्लास नहीं हो पाती है.

इसके साथ हा नेटवर्क की भी समस्या रहती है. पैरेंट्स और बच्चों को ही परेशानी नहीं झेलनी पड़ रही है बल्कि टीचर्स ने भी बताया कि सामने पढ़ाने और ऑनलाइन पढ़ाने में काफ़ी अंतर होता है. उतने बेहतर तरीक़े से ऑनलाइन में पढ़ाई नहीं हो पा रही है.

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