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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विकास योजनाओं के मद में खर्च होने को लेकर गठित की कमेटी

एक तरफ यूपी सरकार चुनाव से पहले ज्यादा से ज्यादा परियोजनाओं को पूरा कर जनता के बीच माहौल बनाने पर फोकस कर रही है तो वहीं सरकारी मशीनरी विकास योजनाओं के मद में खर्च होने वाली राशि पर कुंडली मारकर बैठी है.

19 जुलाई तक बजट प्रावधान के सापेक्ष जारी की गयी वित्तीय स्वीकृतियों से इस बात का खुलासा हुआ है कि पूंजीगत मद में केवल 18.7 फीसदी बजट ही जारी किया गया है. डेढ़ दर्जन विभागों का खर्च 20 फीसदी से भी कम है, लेकिन इनमें पांच विभागों ने एक पाई भी जारी नहीं किया.

वित्त वर्ष 2021-2022 के वार्षिक बजट में 5,81552.05 करोड़ का बजट का प्रावधान किया गया है. सूत्रों ने बताया है कि 19 जुलाई को उच्च स्तर पर सौंपी गयी रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि बजट प्रावधान के सापेक्ष 3,33,105.98 करोड़ रूपये की स्वीकृतियां जारी हुई है.

यह कुल बजट प्रावधान का 57.3 प्रतिशत है. इस तरह साढ़े तीन महीने में आधे से अधिक वित्तीय स्वीकृति से सरकार तो खुश हो सकती है, मगर जब विकास योजनाओं पर खर्च होने वाले पूंजीगत मद के लिए प्रावधानित बजट और उसके सापेक्ष स्वीकृतियों की समीक्षा की गयी तो पूरी उल्टी तस्वीर सामने आयी है.

हांलाकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ऐसे कार्यों को चिन्हित करने का निर्देश दिया है कि जो कम समय (अगले 6 महीने में ) और कम राशि लगाकर पूरे कराये जा सकते है.

यह रिपोर्ट तैयार करने के लिए कृषि उत्पादन आयुक्त आलोक सिन्हा की अध्यक्षता में एक तीन सदस्यीय कमेटी गठित कर दी गई है. इसमें अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री और

अपर मुख्य सचिव वित्त शामिल किये गये है. यह समिति मुख्यमंत्री को इसी महीने अपनी रिपोर्ट सौंप देगी. विभागों को ये भी निर्देश दिये गये हैं कि लोर्कापण कराने वाले कार्यों की सूची भी तैयार कर लें.

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