जाने कब और कौन होगा अफगानिस्तान का नया राष्ट्रपति ?
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अफगानिस्तान में तालिबानी सरकार बनाने की कोशिशें तेज हो गई हैं. तालिबान आज अफगानिस्तान में सरकार बनाने का दावा पेश कर सकता है. मुल्ला बरादर दोहा से कंधार पहुंच गया है.
बरादर ही अफगानिस्तान का नया राष्ट्रपति हो सकता है. तालिबान चीफ हैबतुल्लाह अखुंदजादा भी जल्द ही अफगानिस्तान में दिखाई दे सकता है.
हैबतुल्लाह के किसी भी वक्त कंधार पहुंचने की संभावना है. वैसे तो हैबातुल्लाह अखुंदजादा तालिबान के सर्वेसर्वा है लेकिन बरादार उसके राजनीतिक प्रमुख और सबसे अधिक जाना-पहचाना चेहरा है. मुल्ला उमर से संबद्ध बरादार को सबसे सक्रिय रणनीतिकार माना जाता है.
इस बीच तालिबान, पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई और बातचीत परिषद के पूर्व अध्यक्ष अब्दुल्ला अब्दुल्ला सहित अफगान सरकार के कई अधिकारियों से बातचीत जारी है.
बातचीत की जानकारी रखने वाले अधिकारियों ने बताया कि वार्ता इस बात पर केंद्रित है कि तालिबान के प्रभुत्व वाली सरकार कैसे गत 20 साल के बदलावों के साथ चले, बजाय कौन सा मंत्रालय किसे दिया जाए. राष्ट्रपति अशरफ गनी पहले ही देश छोड़ चुके हैं.
दो दशक तक चले युद्ध के बाद अमेरिका के सैनिकों की पूर्ण वापसी से दो सप्ताह पहले तालिबान ने पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है. जिसके बाद से पूरे अफगानिस्तान में अफरातफरी का माहौल है.
सभी देश अपने नागरिकों को अफगानिस्तान से निकालने के प्रयास कर रहे हैं. वहीं अफगान नागरिक भी अपने भविष्य को चिंतित हैं और वे भी किसी दूसरे देश में शरण लेना चाहते हैं.
अफगानिस्तान छोड़कर भागने वाले अफगानों की गिनती हजारों में है. अब तालिबान कब्जा तो कर बैठा लेकिन उसे भी पता है कि सत्ता में बने रहने के लिए उसे पूरी दुनिया का समर्थन चाहिए.
आतंक के कारनामों के लिए पूरी दुनिया में बदनाम तालिबान अब बदलाव की रट लगाए बैठा है और बाकायदा उसके प्रवक्ता ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसकी ताकीद कर रहे हैं लेकिन दुनिया जानती है हाथी के खाने के और दिखाने के और होते हैं.
प्रेस कॉन्फ्रेंस करने आए तालिबानी प्रवक्ता जैबुल्लाह मुजाहिद ने कहा, ”अफगानिस्तान में सभी को माफ कर दिया गया , तालिबान किसी से बदला नहीं लेगा. महिलाओं को शरीयत के हिसाब से अधिकार मिलेंगे और महिलाएं शिक्षा, स्वास्थ्य और अलग-अलग क्षेत्रों में काम करेंगी.”
जैबुल्लाह मुजाहिद ने कहा, ”तालिबान सभी देशों को भरोसा देता है कि उनके दूतावास और नागरिकों की सुरक्षा करेंगे. अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल किसी भी देश के खिलाफ नहीं होने दिया जाएगा. हम दुनिया को ये भरोसा देते हैं कि हमारी जमीन से आपको नुकसान पहुंचने नहीं दिया जाएगा.”
उसने कहा, “मीडिया को स्वतंत्र ढंग से चलने देंगे. मीडिया को तीन सुझाव है, इस्लामिक विश्वास के खिलाफ कुछ भी ना दिखाएं, मीडिया को निष्पक्ष होना चाहिए और राष्ट्रीय हित के खिलाफ कुछ भी मीडिया पर नहीं चलाना चाहिए.”
एक तरफ अफगान नागरिक जान बचाने की कोशिशों में जान गंवा रहे है तो दूसरी तरफ तालिबान लड़ाके काबुल जीतने के बाद जश्न और मस्ती में सराबोर हैं. तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा बदलाव के लिए नहीं बल्कि सत्ता के लिए किया है.
इसलिए अगर इस तालिबान में कुछ बदला है तो वो सिर्फ और सिर्फ कट्टरता के हिजाब बदले हैं. पहले वो खुलेआम गोली चलाता था, अब अफगानिस्तान के भले की चादर ओढकर गोली मारेगा.