महान शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्लाह खान की पुण्यतिथि पर उन्हें योगी आदित्यनाथ ने दी श्रद्धांजलि
दुनिया को शहनाई की सुरीली तान से परिचय कराने वाले उस्ताद बिस्मिल्लाह खां की आज पुण्यतिथि हैं. इस मौके पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने श्रद्धांजलि दी. शनिवार को सीएम योगी ने ट्वीट करके लिखा, ‘भारत रत्न’ से सम्मानित
महान शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्लाह खान की पुण्यतिथि पर उन्हें सादर श्रद्धांजलि. आपकी शहनाई से निकले सुमधुर स्वर, संगीत प्रेमियों की स्मृतियों में सदैव जीवंत रहेंगे. वे अपनी शहनाई को बेगम कहते थे और उसी के साथ 21 अगस्त 2006 को इस दुनिया से रुखसत हुए थे.
बिहार के डुमरांव के ठठेरी बाजार में बिस्मिल्लाह खान का जन्म हुआ था. बिस्मिल्लाह खान को शहनाई का जादूगर कहा जाता था. आज हम आपको उस्ताद बिस्मिल्लाह खान के जीवन की कुछ खास बातों से रूबरू करवाते हैं.
कहते हैं कि जब 15 अगस्त 1947 को देश को आजादी मिली थी तो बिस्मिल्लाह खान की शहनाई की धुन दिल्ली में बजी थी. कहते हैं 26 जनवरी को भी उनकी धुन ने चार चांद लगाए थे.
'भारत रत्न' से सम्मानित महान शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्लाह खान की पुण्यतिथि पर उन्हें सादर श्रद्धांजलि।
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) August 21, 2021
आपकी शहनाई से निकले सुमधुर स्वर, संगीत प्रेमियों की स्मृतियों में सदैव जीवंत रहेंगे।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उनका जन्म बिहार में हुआ था. उन्हें बिस्मिल्लाह नाम उनके दादा ने दिया था. कहा जाता है कि जब उनका जन्म हुआ था, तब बरबस ही उनके दादा के मुंह से बिस्मिल्लाह निकल गया था.
तब से उनका नाम बिस्मिल्लाह पड़ गया था. एक बार जब वे ईद मनाने बनारस अपने मामा के घर गए तो वहीं के बनकर रह गए. उनके मामा अली बख्श एक मंदिर में शहनाई बजाते थे. तब बिस्मिल्लाह भी उनके साथ होते थे. इस तरह शहनाई से उनका रिश्ता कायम हुआ.
वे एक असाधारण शहनाई वादक थे, जो शास्त्रीय धुनों को बड़ी सहजता के साथ शहनाई पर बजाते थे. कई बड़े नेताओं के अलावा फिल्म अभिनेता भी उनकी शहनाई वादन के मुरीद थे. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इंदिरा गांधी उनकी शहनाई सुनने के लिए
अक्सर उन्हें आमंत्रित किया करती थीं. उस्ताद बिस्मिल्लाह खां को संगीत में उनके योगदान के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजा गया था. उन्हें 2001 में भारत रत्न ने सम्मानित किया गया था.