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मध्‍य प्रदेश में कोरोना की तीसरी लहर को लेकर लोगों में जगी चिंता

कोरोना वायरस की दूसरी लहर में मरीजों की संख्या कम होने के बाद अब तीसरी लहर को लेकर लोगों को चिंता सता रही है. हालांकि विशेषज्ञ तीसरी लहर को लेकर लगातार अध्ययन करने में जुटे हैं.

इसी बीच तीसरी लहर पर दो अलग-अलग दावे सामने आए हैं. आईआईटी कानपुर ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया है कि कोरोना की तीसरी लहर की आशंका ना के बराबर है. यही नहीं, आईआईटी कानुपर ने मध्य प्रदेश में कोरोना की तीसरी लहर आने की संभावना ना के बराबर बताई है.

आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर महेंद्र अग्रवाल की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, उनके मैथमेटिकल मॉडल फॉर्मूले के मुताबिक वैक्सीनेशन ने तीसरी लहर की आशंका लगभग खत्म कर दी है.

इतना ही नहीं इस रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि अगर कोरोना की तीसरी लहर आई भी तो बच्चों पर उसका बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ेगा. हालांकि वैज्ञानिक लोगों को एहतियात बरतने की सलाह दे रहे हैं.

वहीं, गृह मंत्रालय के पैनल नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजास्टर मैनेजमेंट ने प्रधानमंत्री कार्यालय को सौंपी अपनी रिपोर्ट में आईआईटी कानपुर के रिपोर्ट के उलट दावा किया है. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजास्टर मैनेजमेंट की रिपोर्ट में यह कहा गया है

कि आने वाले अक्टूबर महीने में कोरोना की तीसरी लहर अपने पीक पर होगी. इतना ही नहीं इस रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि इस दौरान बच्चों को सबसे ज्यादा खतरा होगा. इसी आधार पर स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को बेहतर करने की सिफारिश भी इस रिपोर्ट में दी गई है.

कोरोना की तीसरी लहर को लेकर जो अनुमान लगाया गया है उसके मुताबिक, केरल और असम में कोरोना के संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ रही है जो तीसरी लहर के संकेत है. इन राज्यों में बच्चों के संक्रमित होने की दर भी ज्यादा है.

केरल में संक्रमण की दर 17 फीसदी है. यही नहीं, केरल के 14 जिले रेड जोन में हैं जहां पॉजिटिविटी रेट 10 फीसदी से ज्यादा है. उधर आईआईटी कानपुर की रिपोर्ट में यह कहा गया है कि मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के अलावा बिहार जैसे राज्य संक्रमण मुक्त हो रहे हैं, इसलिए तीसरी लहर आने की संभावना ना के बराबर है.

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