चिराग पासवान ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर बड़ा आरोप लगाते हुए किया हमला
दिल्ली से गुरुवार को वापस पटना लौटे चिराग पासवान ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि जो व्यक्ति उनका परिवार और पार्टी तोड़ सकता है उनके हाथ में प्रदेश सुरक्षित नहीं है.
चिराग पासवान ने कहा कि बीते साल से लगातार पार्टी के टूटने की खबरें आ रहीं थीं. शुरुआत से नीतीश कुमार जी नकारते आए लेकिन आज उन्होंने परिवार तोड़ दिया और उनका सहयोग मिला पशुपति पारस को.
उन्होंने आगे कहा कि इन लोगों ने मिलकर षड्यंत्र रचा, जो नेता पार्टी और परिवार को तोड़ने की सोच रखता है उसके हाथ में प्रदेश कैसे सुरक्षित रहेगा. हम कल्पना नहीं कर सकते कि वो प्रदेश को और कितना तोड़ेंगे.
सरकार के पास जातीय आंकड़े नहीं है. इसकी वजह से राशि तो आवंटित होती है लेकिन उसमें अनुमान नहीं होता. हम इसके साथ हैं और इसलिए मैंने सीएम को चिट्ठी लिखकर कहा कि प्रतिनिधिमंडल में एलजेपी को शामिल करे.
उन्हें शोभा नहीं देता कि मान्यता प्राप्त पार्टी जिसे विधानसभा में 6% वोट मिला,पच्चीस लाख लोगों ने जिस पार्टी का समर्थन किया उस पार्टी के किसी भी मेम्बर को उन्होंने प्रतिनिधि मंडल में शामिल नहीं किया. उन्होंने व्यक्तिगत रंजिश की वजह से एलजेपी के किसी व्यक्ति को शामिल नहीं किया.
पिता राम विलास पासवान की पहली बरसी की तैयारियों में जुटे चिराग ने बताया कि मेरे नेता,मेरे पिता का जाना एक ऐसी क्षति है जो पार्टी और परिवार दोनों पर पड़ा. इसकी भरपाई नहीं की जा सकती, कठिन दौर था मेरे लिए अब एकमात्र लक्ष्य है कि पिता के सिद्धांतों के साथ विचारों आगे ले जाना.
चिराग ने कहा कि मेरे पिता चाहते थे कि उनके रहते हुए अगली पीढ़ी संभाल पार्टी की जिम्मेदारी संभाल लें. यही वजह थी कि बीते 5 नवंबर को जब उन्होंने मुझे राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया तो मेरे भाई प्रिंस को प्रदेश अध्यक्ष बनाया.
ग़ौरतलब है कि पशुपति पारस ने बयान देते हुए कहा था कि चिराग ने जबरदस्ती अपने पिता यानि राम विलास पासवान को अध्यक्ष पद से हटा दिया. उन्होंने कहा कि वो मेरे चाचा हैं
और उन्हें मुझे कुछ भी कहने का अधिकार है. बस वो जो भी कहें वो सच सच होना चाहिए. मेरा उनसे यही आग्रह है. चिराग ने साथ ही कहा कि, पशुपति पारस के आरोपों पर मेरी माँ ने उन्हें पत्र लिख कर जवाब मांगा है.
पशुपति पारस के साथ खराब हुए संबंधों पर चिराग ने कहा कि पशुपति पारस मेरे चाचा है. भले उन्होंने मुझे अपना मानने से इंकार कर दिया, लेकिन मेरे लिए वो पहले भी चाचा था और अब भी हैं. पिता के निधन के बाद मैंने उनमें पिता की छवि देखी है.