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उत्तराखंड में भारी बारिश से चारो ओर मची तबाही..

उत्तराखंड में पिछले करीब डेढ़ हफ्ते से भारी और लगातार बारिश का नतीजा ये है कि चीन सीमा की तरफ जाने वाले तमाम मुख्य रास्तों सहित कई सड़कें धराशायी हो चुकी हैं. अलग अलग अंचलों में विभिन्न नदियां उफान पर हैं, जिनकी वजह से दुर्घटनाओं की खबरें बनी हुई हैं.

नैनीताल, चमोली और टिहरी गढ़वाल में सड़कों के बुरी तरह से ज़ख्मी होने के चलते आवागमन ठप है तो उत्तरकाशी और पिथौरागढ़ में ​नदियों के उफान और नेपाल से बहकर आ रहे मलबे के चलते हादसे हो रहे हैं. भूस्खलन की खबरें थमी नहीं है

तो वहीं, उत्तराखंड में इस साल मानसून के दौरान पहली बार बर्फबारी भी हुई है.हालांकि मंगलवार को उत्तराखंड के ज़्यादातर इलाकों में मौसम साफ रहा, लेकिन लेकिन दुर्घटनाओं या आपदाओं का सिलसिला भी जारी दिखा.

देहरादून और हरिद्वार में पिछले दिनों बादल फटने की घटनाओं के बाद राहत और मरम्मत कार्य जारी हैं, लेकिन हालात अभी सामान्य नहीं हुए हैं. आपदा विभाग ने सोमवार को सभी ज़िलों के लिए हाई अलर्ट जारी किया तो संवेदनशील जगहों पर एसडीआरएफ टुकड़ियां भेजी गईं.

वहीं मौसम विभाग का अनुमान है कि अभी कुछ और दिन भारी बारिश और उसके कारण भूस्खलन की घटनाएं थमेंगी नहीं. इस बारे में 5 बड़ी कहानियां भी जानिए.नैनीताल में हाईवे पर दरार,

हल्द्वानी-नैनीताल हाईवे पर हाल में डॉन बॉस्को के पास सड़क टूटी थी और ताज़ा खबरों में बताया जा रहा है कि ताकुला व एरीज़ बैंड के बीच करीब 30 मीटर हिस्से में मोटी दरारें पड़ गई हैं. हर साल यहां मरम्मत किए जाने के बावजूद यह हालत है

अब इसे फिर ठीक करने के लिए विभाग जुगत कर रहे हैं. वहीं, अतिवृष्टि से चमोली में एक गदेरे में उफान आने से बिरही-निजमुला सड़क का 40 मीटर का हिस्सा बह गया. सड़क ठप होने से निजमुला घाटी में आवश्यक चीज़ों की सप्लाई भी बंद हो गई.

एक अन्य खबर में कहा गया ​है कि नैनीताल की ठंडी सड़क पर एक बार फिर भूस्खलन होने से रास्ता बंद हो गया. नेपाल की तरफ भूस्खलन होने के कारण काली नदी में भारी मलबा बहकर आया, जिससे नदी का प्रवाह अवरुद्ध हुआ और मलबे की झील जैसा नज़ारा बन गया.

वहीं, ठंडी सड़क पर फिर भूस्खलन से कुमाऊं यूनिवर्सिटी के कुछ हिस्सों में खतरा बना हुआ है. खबरों की मानें तो गंगोत्री व यमुनोत्री हाईवे पर यातायात फिलहाल जारी है.पिथौरागढ़ में सड़कें ठप : खास तौर से थल मुन्स्यारी मार्ग कई जगह बंद बताया जा रहा है.

लगातार बारिश से पहाड़ियों से बोल्डर गिर रहे हैं और मलबा आने से रास्ते बंद तो हैं ही, हादसों की आशंका भी बनी हुई है. दो ही दिन पहले धारचूला के जुम्मा में बादल फटने से भारी तबाही की खबर आ चुकी थी.

उफान पर आई नदियों में लोगों के बहने की खबरें भी मिल रही हैं. एक अन्य खबर में पूरे उत्तराखंड में 250 से ज़्यादा सड़कें पूरी तरह बंद होने की बात कही गई है.पहाड़ी इलाकों में बारिश के बाद ठंड का आलम यह है कि मौसम की पहली बर्फबारी की खबर आई.

बद्रीनाथ धाम की चोटियों पर मौसम में पहली बार बर्फ दिखी जबकि आम तौर से 13 सितंबर के दूसरे हफ्ते के खत्म होते यहां बर्फ दिखती है. वहीं, पिथौरागढ़ के मुन्स्यारी में भी बर्फबारी की खबर आई और पंचाचूली की पहाड़ियों पर सफेद चादर बिछी दिखी.

यहां पर्यटन कारोबार से जुड़े लोग बर्फबारी से कुछ निराश ही दिखाई दे रहे हैं.उत्तराखंड में भारी बारिश के कारण जो तबाही मची है, उससे इन्फ्रास्ट्रक्चर को करोड़ों का नुकसान होना बताया जा रहा है, हालांकि अभी सटीक रकम के बारे में आंकलन किया जाना है.

यही नहीं, मरम्मत और भरपाई के काम में महीनों लगेंगे. देहरादून की ज़िला आपदा कंट्रोल रूम की अधिकारी दीपशिखा रावत के मुताबिक अभी प्रदेश में पहली ज़रूरत सभी को पेयजल

और वैकल्पिक रास्ता देने की है. डीआइजी गढ़वाल नीरू गर्ग का कहना था कि अवरुद्ध सड़कों के चलते रूट मैप तैयार कर लोगों के लिए सुरक्षित रास्तों का विकल्प दिया जा रहा है.

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