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महंत जी के निधन पर राजनीति करने से बाज आएं अखिलेश – सिद्धार्थ नाथ

महंत नरेंद्र गिरि के निधन पर शांति पूर्वक शोक संवेदना व्‍यक्‍त करने के बजाय राजनीति कर रहे सपा प्रमुख अखिलेश यादव को राज्‍य सरकार के प्रवक्‍ता और कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने ऐसे दुखद समय में राजनीति करने से बाज आने की नसीहत दी है। मंगलवार को स्‍वर्गीय नरेंद्र गिरि महाराज को श्रद्धांजलि अर्पित करने प्रयागराज पहुंचे कैबिनेट मंत्री ने कहा कि यह बहुत कठिन और शोक का समय है। लेकिन अखिलेश यादव इसमें भी राजनीति कर रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि मानता हूं कि राजनीति उनका पेशा है मगर कम से कम आज राजनीति न करें। यह शोभा नहीं देता है। महाराज के दुखद निधन को अभी 24 घंटे भी नहीं हुए हैं और अखिलेश यादव उन्‍हें शांति पूर्वक श्रद्धांजलि देने के बजाय अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने में लगे हैं। यह बहुत ही दुर्भाग्‍यपूर्ण और अमानवीय भी है। इस समय महंत जी को श्रद्धांजलि देकर और अंतिम दर्शन करके जाना चाहिए । उन्‍होंने कहा कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच हो रही है मुख्यमंत्री जी ने निष्पक्ष जांच के आदेश दे दिए हैं ।

        इससे पहले कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने मंगलवार को बाघम्बरी मठ पर पहुंचकर अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष व महंत स्व0 नरेंद्र गिरि महाराज जी के अंतिम दर्शन किए और पुष्पांजलि अर्पित की। उन्होंने भगवान श्रीराम से दिवंगत आत्मा की शांति और अनुयायियों को सबल व सहन करने की शक्ति देने की प्रार्थना की। इस दौरान उन्‍होंने मठ के साधु संतों से घटना क्रम की जानकारी भी ली।

यूपी में विकास को नई पहचान देगा प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का तीसरा चरण

उत्तर प्रदेश में विकास को नई पहचान देने के लिए गांव-गांव तक बनाई जा रही नई सड़कें बड़ा बदलाव लाने जा रही है। मजरों तक आवाजाही की सुविधा के साथ उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा। वहीं, ग्रामीण जन-जीवन में सुधार आने के साथ रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। किसानों, विद्यार्थियों, युवाओं के साथ ही साथ समस्त ग्रामवासियों को सीधा लाभ मिलेगा। किसान को सब्जी, अनाज, दूध इत्यादि को आसानी से मण्डी तक पहुंचाने से उनकी आय में भी बढ़ोत्तरी होगी।

        प्रदेश में केन्द्र सरकार की योजना से गांव-गांव तक और मजरों तक सड़क निर्माण का कार्य किया जा रहा है। साढ़े 4 साल में प्रदेश में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का पहला और दूसरा चरण पूरा हो चुका है। प्रदेश में 57162.55 किमी. सड़क का निर्माण पूरा करा लिया गया है। 05 वर्ष तक इन मार्गों के रख-रखाव का कार्य सड़क बनाने वाले ठेकेदारों को दिया गया है। उत्तर प्रदेश ग्रामीण सड़क विकास अभिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी भानु चंद्र गोस्वामी ने बताया कि योजना के तीसरे चरण में 4130.27 करोड़ रुपये की लागत से 6208.45 किमी नई सड़कों का निर्माण कराया जा रहा है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तीसरे चरण में भारत सरकार की ओर से वर्ष 2024-25 तक उत्तर प्रदेश में 18937.05 किमी. सड़क निर्माण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

        जहां पहले गांवों तक पहुंचना आसान नहीं था वहीं वर्ष 2017 में योगी सरकार के सत्ता संभालने के बाद से प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना ने नई क्रांति लाने का काम किया है। गांव-गांव में मजरों तक नई सड़क बनने से यूपी निरंतर तरक्की कर रहा है। संचार माध्यम गांव-गांव तक पहुंच रहे हैं। नई सड़कों के निर्माण से गांव-गांव में एम्बुलेंस और अन्य चिकित्सीय सुविधाएं आसानी से पहुंचने लगीं हैं। इसके साथ ही पब्लिक ट्रांसपोर्ट का भी आवागमन शुरू होने से आमजन अपने गन्तव्य तक आसानी से पहुंच रहे हैं।

पिछली सरकारों ने जहां बंद किए थे विकास के रास्‍ते योगी ने वहां से की आगे बढ़ने की शुरुआत

पिछली सरकारों ने जहां रास्‍ते बंद किए थे, योगी सरकार ने वहां से आगे बढ़ने की शुरुआत की। जिन केंद्रीय कार्यक्रमों और योजनाओं को पिछली सरकारों ने दरकिनार कर दिया था उन्‍हीं के दम पर योगी सरकार ने साढ़े चार साल में यूपी की तस्‍वीर बदल डाली । केंद्र और राज्‍य की डबल इंजन सरकार ने यूपी में विकास की रफ्तार को दोगुना कर दिया । प्रदेश में पहली बार विकास योजनाओं की किरण जन जन तक पहुंच रही है । केंद्र की पिछली सरकारों के मुकाबले मोदी सरकार ने यूपी को दोगुनी सहायता राशि दी। जबकि लंबे समय तक केंद्र की सत्‍ता पर काबिज रही कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों ने यूपी के विकास को हाशिये पर रखा।

        केन्द्र सरकार द्वारा राज्‍यों को दी जाने वाली सहायता का एक बड़ा अंश केन्द्रीय कार्यक्रमों के माध्यम से आता है। लेकिन राज्‍य के विकास में इसका फायदा उठाने के बजाय पिछली सरकारें इसे लेकर सियासी नौटंकी भर करती रहीं । जिसके कारण प्रदेश को भारत सरकार से मिलने वाली पूरी सहायता नहीं मिल पायी। राज्‍य की सत्‍ता संभालते ही सीएम योगी की अगुआई वाली सरकार ने केन्द्र सरकार से प्राप्त होने वाली सहायता और केन्द्र सरकार द्वारा संचालित योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन पर जोर दिया। केंद्रीय कार्यक्रमों और योजनाओं के क्रियान्‍वयन और समीक्षा की कमान भी खुद सीएम ने संभाली । प्रदेश में यह पहली बार हुआ। इसका परिणाम यह रहा कि भारत सरकार से विभिन्न केन्द्रीय सहायतार्थ योजनाओं में वर्ष 2012-17 के मुकाबले वर्ष 2017-21 तक लगभग दोगुनी सहायता प्राप्त हुई। अपने शानदार प्रबंधन और दमदार क्रियान्‍वयन से  योगी सरकार ने साढ़े चार वर्षों में 2 लाख करोड़ से अधिक की रिकार्ड केन्द्रीय सहायता हासिल की ।

        वित्‍तीय वर्ष 2012-13 में कांग्रेस की अगुआई वाली सरकार ने यूपी के विकास के लिए महज 17 हजार करोड़ की सहायता राशि दी थी। इस दौरान राज्‍य में सपा सरकार थी। केंद्र की सत्‍ता संभालते ही मोदी सरकार ने वित्‍तीय वर्ष 2014-15 में यूपी के विकास के लिए 32 हजार करोड़ रुपये की सहायता राशि जारी की। लेकिन सपा सरकार इस बड़ी धनराशि का इस्‍तेमाल विकास को गति देने में नहीं कर सकी। केंद्रीय सहायता से विकास तेज करने के बजाय तत्‍कालीन सपा सरकार ने न सिर्फ केंद्र सरकार की योजनाओं पर अपने नाम लिखवा कर जनता के बीच भ्रम फैलाने की कोशिश की बल्कि कई बड़ी योजनाओं का विरोध कर प्रदेश में लागू करने में रोड़ा अटकाया । जिससे प्रदेश के लोग कई योजनाओं का लाभ पाने से वंचित रह गए। प्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद वित्‍तीय वर्ष 2017-18 में केंद्र सरकार से मिलने वाली सहायता राशि का आंकड़ा 40 हजार करोड़ रुपये को पार कर गया। योगी सरकार ने केंद्रीय अनुदान की पाई पाई का इस्‍तेमाल यूपी के विकास के लिए किया।

        केंद्र की मोदी सरकार ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को 2017-18 से 31 अगस्त 2021 तक कुल 201584 करोड़ रुपये केंद्रीय अनुदान राशि दी है।  जबकि इसकी तुलना में 2012-13 से 2016-17 तक पिछली सरकार के दौरान कुल 136832.63 करोड़ रुपये केंद्रीय सहायता के तौर पर यूपी को मिले। दरअसल, कांग्रेस की अगुआई वाली यूपीए केंद्र सरकार ने 2012-13 में 17337.78 करोड़ रुपये और 2013-14 में करीब 22405.16 करोड़ केंद्रीय सहायता के रूप में यूपी को जारी किए। केंद्र में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद 2014-15 में 32691.47 करोड़ रुपये, 2015-16 में 31861.33 करोड़ रुपये और 2016-17 में 32536.86 रुपये यूपी को केंद्रीय अनुदान के रूप में मिले।

        उत्तर प्रदेश में विकास ने रफ्तार तभी पकड़ी जब केंद्र और राज्‍य की डबल इंजन सरकार ने एक साथ मिल कर काम करना शुरू किया। राज्‍य सरकार को केंद्र सरकार के समर्थन के साथ भरपूर लाभांश भी मिला । केंद्र ने विकास के लिए 2017-18 में 40648.44 करोड़ रुपये, 2018-19 में 42988.48 करोड़ रुपये, 44043.96 करोड़ रुपये, 2020-21 में 57487.59 करोड़ रुपये और 2021-22 में 31 अगस्त तक 16415.61 करोड़ रुपये की धनराशि यूपी में  भेजी।

        'डबल इंजन' सरकार के फायदे तब सामने आए जब राज्‍य में योगी सरकार बनी। राज्‍य और केंद्र के तालमेल के अभाव में वर्षों तक विकास से वंचित यूपी को पहली बार किसी केंद्र सरकार का पूरा समर्थन मिला। केंद्र और राज्य सरकार के एकजुट प्रयास ने साढ़े चार साल में प्रदेश की सूरत बदल दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने अलीगढ़ दौरे में बार-बार 'डबल इंजन' सरकार से जनता मिल रहे फायदे की चर्चा की थी। डबल इंजन सरकार का ही परिणाम है कि उत्तर प्रदेश लगभग 90 प्रतिशत केंद्रीय योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन में शीर्ष स्थान पर है। प्रधानमंत्री आवास योजना, प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना, स्मार्ट सिटी योजना, प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम जैसी 44 से ज्‍यादा योजनाओं में उत्तर प्रदेश देश में नम्बर 1 है।

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