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सेकंड वर्ल्ड वॉर देख चुकी 105 साल की प्रिमेटा जियाकोपिनी ने ली अंतिम सांस

अपनी जिंदगी की शुरुआत में स्पेनिश फ्लू जैसी महामारी और सेकंड वर्ल्ड वॉर देख चुकी 105 साल की प्रिमेटा जियाकोपिनी कोविड-19 के खिलाफ अपनी जंग हार गई. प्रिमेटा जियाकोपिनी को नौ सितंबर को कोविड-19 के लक्षण दिखने पर अस्पताल में भर्ती कराया गया था.

जहां अमेरिका के रिचमंड शहर में 16 सितंबर को उनकी मृत्यु हो गई. उनकी बेटी डोरिन जियाकोपिनी ने बताया कि, “मेरी मां कभी भी हार ना मानने वाली एक फाइटर महिला थी. अगर उन्हें कोविड संक्रमण नहीं होता तो वो अभी काफी लम्बे वक्त तक जिंदा रहती.”

प्रिमेटा जियाकोपिनी जब महज दो साल की थी तब साल 1918 में स्पेनिश फ्लू महामारी में उनकी मां की मृत्यु हो गई थी. अमेरिका में उस महामारी के चलते लगभग 675,000 लोगों की मौत हुई थी.

कोविड-19 से पहले तक ये अमेरिका में किसी महामारी के चलते मरने वालों का सबसे बड़ा आंकडां था. हालांकि कोविड-19 के चलते अमेरिका में अब तक हुई मौतों का आंकड़ा अब इस से ज्यादा हो गया है.

प्रिमेटा के पिता ने मां की मौत के बाद उन्हें और उनकी बहन एलिस को पालने से मना कर दिया था. उन्होंने एलिस को वापस इटली अपने गृह नगर भेज दिया जबकि प्रिमेटा को एक इटेलियन फ़ोस्टर फैमिली को सौंप दिया जो उसे लेकर 1929 में इटली आ गई थी.

डोरिन जियाकोपिनी ने बताया, “जिस तरह से मां बताती थी, उनके पिता अपने दोनों बच्चों को अकेले पालना नहीं चाहते थें. जब वो बड़ी हुई तो उन्हें इटालियन फाइटर पायलट Vittorio Andriani से प्यार हो गया. मां बताती थी की उनका Vittorio से ज्यादा मिलना नहीं होता था क्योंकि वो ज्यादातर समय कहीं ना कहीं जंग के मैदान में होते थे.”

जून, 1940 में इटली सेकंड वर्ल्ड वॉर में दाख़िल हुआ. लोकल पुलिस ने प्रिमेटा को सलाह दी कि वो इटली से बाहर चले जाए क्योंकि मुसोलिनी अमेरिका के नागरिकों को देश से बाहर भेजना चाहता है.

हालांकि प्रिमेटा ने इस से इंकार कर दिया था. जून, 1941 में प्रिमेटा को Vittorio Andriani की मौत की खबर मिली, जिसके बाद वो इटली छोड़कर पुर्तगाल चली गई. जहां लिस्बन से वो अमेरिका के लिए रवाना हुई.

अमेरिका पहुंचकर प्रिमेटा ने ब्रिस्टल में जनरल मोटर्स के प्लांट में काम करना शुरू किया. यहीं उनकी अपने पति Umbert “Bert” Giacopini से मुलाकात हुई. साल 2002 में उनके पति की मृत्यु हो गई थी.

डोरिन जियाकोपिनी ने बताया कि उनकी मां को कोविड के चलते निमोनिया हो गया था. डॉक्टरों ने उन्हें वेंटिलेटर पर रखने की सलाह तो दी लेकिन मुझे पता था कि इस उम्र में उनका एक बार वेंटिलेटर पर जाकर भी बचना मुश्किल है. साथ ही उन्होंने बताया, “वो इतनी मज़बूत औरत थीं कि ऑक्सिजन हटाने के बाद भी 24 घंटे से लंबे समय तक वो मौत से जंग लड़ती रहीं.”

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