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जाने क्या है इंदिरा एकादशी व्रत का विशेष महत्व

हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत श्रेष्ठ माना गया है. महाभारत की कथा में भी एकादशी व्रत का वर्णन मिलता है. मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं धर्मराज युधिष्ठिर और अर्जुन को एकादशी व्रत के महत्व और विधि के बारे में बताया था.

जिसके बाद युधिष्ठिर ने इस व्रत को विधि पूर्वक पूर्ण किया था. एकादशी का व्रत सभी प्रकार के कष्टों को दूर करता है. पंचांग के अनुसार आज आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि है.

इस एकादशी तिथि को इंदिरा एकादशी व्रत के नाम से जाना जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है. इस एकादशी व्रत की पूजा भगवान विष्णु को समर्पित है. पितृ पक्ष में पड़ने वाली एकादशी तिथि का विशेष महत्व बताया गया है.

इस तिथि में एकादशी तिथि का श्राद्ध किया जाता है. इस तिथि में उन पितरों का श्राद्ध कर्म किया जाता है, जिन्होंने एकादशी की तिथि में देह त्याग किया होता है. एकादशी तिथि का श्राद्ध विधि पूर्वक करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में आने वाले बाधाएं दूर होती हैं.

हिंदू पंचांग के अनुसार एकादशी तिथि का शुभारंभ 01 अक्टूबर 2021 (शुक्रवार) से हो चुका है. 1 अक्टूबर को रात 11 बजकर 03 मिनट पर एकादशी की तिथि का आरंभ हुआ है. मान्यता है कि एकादशी का व्रत एकादशी की तिथि के आरंभ से हो जाता है.

हालांकि इंदिरा एकादशी का व्रत आज रखा जाएगा. इस दिन विधि पूर्वक पूजा करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हैं. पंचांग के अनुसार एकादशी की तिथि का समापन आज रात 11 बजकर 10 मिनट पर होगा.

एकादशी व्रत में पारण का भी विशेष महत्व बताया गया है. मान्यता है कि एकादशी व्रत का पारण विधि पूर्वक न किया जाए तो इस व्रत का पूर्ण लाभ प्राप्त नहीं हो पाता है.

पंचांग के अनुसार इंदिरा एकादशी व्रत का पारण 03 अक्टूबर 2021 (रविवार) को सुबह 06 बजकर 15 मिनट से सुबह 08 बजकर 37 मिनट तक किया जा सकता है.

-सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं.
-घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें.
-भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें.
-भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें.
-अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें.
-भगवान विष्णु की आरती करें.
-भगवान को भोग लगाएं. इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है.
-भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें. ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं.
-इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें.
-इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें.

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