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इस्लामिक स्टेट समूह के ठिकाने पर तालिबान लड़ाकों ने किया हमला

तालिबान लड़ाकों ने शुक्रवार को राजधानी काबुल के उत्तर में स्थित इस्लामिक स्टेट (आईएस) समूह के ठिकाने पर हमला किया. तालिबान के प्रवक्ता ने यह जानकारी दी.

मध्य अगस्त में अफगानिस्तान को नियंत्रण में लेने के बाद से आईएस द्वारा तालिबान सदस्यों को निशाना बनाकर हमला करने की घटनाओं में इजाफा हुआ है. दोनों समूह लंबे समय से प्रतिद्वंद्वी हैं.

समाचार एजेंसी एपी के मुताबिक, तालिबान के प्रवक्ता बिलाल करीमी ने कहा कि परवान प्रांत के चरकारी शहर में तालिबान लड़ाकों ने यह हमला किया. हालांकि, उन्होंने छापेमारी के संबंध में अधिक विवरण नहीं दिया और ना ही उनके बयान की स्वतंत्र रूप से पुष्टि की जा सकी है.

करीमी ने कहा कि तालिबान के वाहन को निशाना बनाकर हमले करने की घटना से जुड़े आईएस के दो सदस्यों को गिरफ्तार करने के बाद यह कार्रवाई की गई. उन्होंने कहा कि दोनों सदस्यों से पूछताछ के बाद आईएस के ठिकाने का पता लगाया जा सका.

इधर, पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि यूरोपीय यूनियन (ईयू) को अफगानिस्तान में नए तालिबान शासन में मानवाधिकारों की समीक्षा की अपनी योजनाओं को आगे बढ़ाना चाहिये, जो दशकों चले युद्ध और अस्थिरता से उभरने की उम्मीद कर रहा है.

इस्लामाबाद का कहना है कि संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष मानवाधिकार निकाय में एक प्रस्ताव में ‘और सुधार’ की आवश्यकता है, जिसके तहत मानवाधिकारों को एकमात्र मानदंड नहीं मानते हुए

युद्धग्रस्त देश की सहायता का दृढ़ संकल्प लिया जाना चाहिये. पाकिस्तान को तालिबान का सबसे करीबी वार्ताकार माना जाता है. समूह के साथ उसके ऐतिहासिक संबंध हैं. साथ ही उस पर स्पष्ट प्रभाव भी है.

यूरोपीय यूनियन मानवाधिकार परिषद में अगले सप्ताह एक प्रस्ताव पारित करने के लिये 40 से अधिक देशों द्वारा समर्थित एक प्रयास का नेतृत्व कर रहा है. इस प्रस्ताव के तहत यूरोपीय यूनियन अफगानिस्तान के लिये एक विशेष दूत को नामित करेगा.

इसका मकसद मानवाधिकारों को बरकरार रखने की अफगानिस्तान की अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में उसकी मदद करना और मानवाधिकारों के हिमायती समूहों को सहयोग प्रदान करना है, जिनका काम नए शासन के दौरान बाधित हुआ है.

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