कलकत्ता हाईकोर्ट ने सरकार के फैसले में हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया
पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा प्रत्येक दुर्गा पूजा समिति को 10 हजार रुपये का अनुदान देने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई होगी। कलकत्ता हाईकोर्ट ने सरकार के फैसले में हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया, जिसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। अगर सुप्रीम कोर्ट बंगाल सरकार के इस फैसले पर रोक लगाता है, तो यह ममता बनर्जी के लिए झटका होगा, क्योंकि वह इस तरह के उपायों के जरिए अपनी राजनीति साधना चाहती हैं। तुष्टीकरण के आरोपों के बीच वह खुद को हिंदू समर्थक के रूप में स्थापित करना चाहती हैं।
दुर्गा पूजा समितियों को अनुदान देने के ममता सरकार के फैसले को चुनौती देने वाले सामाजिक कार्यकर्ता ने गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली खंडपीठ को बताया कि कलकत्ता हाई कोई ने राज्य सरकार के फैसले में दखल देने से इन्कार कर दिया है। जस्टिस एसके कौल और केएम जोसेफ इस खंडपीठ के दो अन्य सदस्य हैं।
बता दें कि राज्य में 28 हजार दुर्गा पूजा समितियां हैं। हर समिति को 10 हजार रुपये फंड देने से सरकारी खजाने पर 28 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। याचिकाकर्ता के वकील सौरव दत्ता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार का यह फैसला संविधान के पंथनिरपेक्ष ढांचे का उल्लंघन है। उन्होंने मामले में तत्काल सुनवाई की मांग की। उन्होंने बताया कि हाई कोर्ट ने यह कहते हुए सुनवाई से इन्कार कर दिया कि इस तरह के फैसले लेने के लिए विधायिका के पास पर्याप्त अधिकार है।
गौरतलब है कि 10 सितंबर को ममता बनर्जी ने राज्य की सभी दुर्गा पूजा समितियों को 10 हजार रुपये फंड देने का एलान किया था। राज्य के शहरी इलाकों में लगभग तीन हजार और ग्रामीण इलाकों में लगभग 25 हजार दुर्गा पूजा समितियां हैं। ममता सरकार पर अक्सर हिंदुओं के साथ भेदभाव करने का आरोप लगता रहा है। आगामी चुनाव को देखते हुए सरकार के इस फैसले को हिंदू मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है।
कोलकाता महानगर समेत पूरे राज्य में दुर्गापूजा की धूम है। इस बीच चक्रवाती तूफान तितली के कारण त्यौहार का मजा किरकिरा होने के आसार हैं। बुधवार को महानगर समेत जिलों में बारिश हुई। बारिश के बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को भी करीब आधे दर्जन पूजा पंडाल का उद्घाटन किया। कुछ जगह वे खुद उपस्थित हुईं तो कुछ जगह जहां वे पहुंच नहीं पाई वहां वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए उद्घाटन किया। महालया के दिन से ही मुख्यमंत्री लगातार विभिन्न पूजा पंडालों का उद्घाटन कर रही हैं। उन्हें 10,000 से अधिक पूजा पंडालों के उद्घाटन का आमंत्रण मिला है।