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क्या आप जानते है कोलेस्ट्रॉल दो प्रकार के होते हैं नहीं तो जाने यहाँ ?

अक्सर हेल्थ के मामले में कोलेस्ट्रॉल की चर्चा होती रहती है. आमतौर पर कहा जाता है कि कोलेस्ट्रॉल का स्तर ज्यादा हो गया, इसलिए इन चीजों पर कंट्रोल करें या फैटी चीजों का सेवन नहीं करें.

यह सच है कि ज्यादा कोलेस्ट्रॉल के कारण कई प्रकार की परेशानियां पैदा हो जाती हैं, लेकिन कोलेस्ट्रॉल हमारे शरीर के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. कोलेस्ट्रॉल दो प्रकार के होते हैं. पहला बैड कोलेस्ट्रॉल जो मानव शरीर के लिए खतरनाक है

और दूसरा गुड कोलेस्ट्रॉल जो शरीर के लिए प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट की तरह ही जरूरी है. कोलेस्ट्रॉल मानव कोशिकाओं के बाहर एक खास एलिमेंट से बनी हुई परत होती है. इसे मेडिकल साइंस की भाषा में कोलेस्ट्रॉल या लिपिड कहा जाता है.

मानव शरीर में होने वाली शारीरिक क्रियाओं को ठीक तरीके से पूरा करने के लिए कोलेस्ट्रॉल का होना बेहद जरूरी होता है. हमारे शरीर के विकास के लिए यह कई जरूरी हार्मोन का निर्माण करता है. हालांकि कोलेस्ट्रॉल को लेकर लोगों में कई तरह कई तरह के मिथ हैं. मेडिकल न्यूज टूडे ने इन मिथ के बारे में विस्तार से बताया है.

कोलेस्ट्रॉल सेल मेंब्रेन का सबसे महत्वपूर्ण घटक है. कोलेस्ट्रॉल ही स्टेरॉयड हार्मोन को बनाता है. इसलिए यह कहना कि सभी कोलेस्ट्रॉल खराब है, बिल्कुल गलत है. डॉ ग्रीनफील्ड बताते हैं कि कोलेस्ट्रॉल खराब नहीं होता.

यह बिल्कुल निर्दोष है जिसे आधुनिक जीवनशैली में गलत तरह से पेश किया जा रहा है. कोलेस्ट्रॉल के कारण ही विटामिन डी बनता है. हाई डेंसिटी लाइपोप्रोटीन यानी गुड कोलेस्ट्रॉल का

ऊंचा स्तर भी नुकसानदेह नहीं है. यह खून की नलिकाओं से कोलेस्ट्रॉल के अन्य हानिकारक रूप को साफ कर देता है. हां अगर बैड कोलेस्ट्रॉल का स्तर बहुत बढ़ जाए, तो इससे बीमारी का खतरा हो सकता है.

लोगों में यह भी धारणा होती है कि मैं तो हेल्दी हूं मेरा कोलेस्ट्रॉल बढ़ा नहीं होगा. ऐसा बिल्कुल गलत है. डॉ ग्रीनफील्ड बताते हैं कि कोलेस्ट्रॉल न कम होना ठीक है ना ज्यादा होना ठीक है बल्कि इसका संतुलित होना जरूरी है.

कुछ लोग कहते हैं कि अगर मुझे हाई कोलेस्ट्रॉल होता तो इसके लक्षण दिखते. यह भी धारणा गलत है. कोलेस्ट्रॉल का बढ़ा हुआ स्तर आमतौर पर ऊपर से नहीं दिखता.

लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन को बैड कोलेस्ट्रॉल कहते हैं. जब लाइपोप्रोटीन में प्रोटीन की जगह फैट की मात्रा अधिक होने लगती है, तो यहां बैड कोलेस्ट्रॉल जमा होने लगता है. इस स्थिति में हार्ट संबंधी रोग होने का खतरा काफी बढ़ जाता है.

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