क्या ताइवान की सेना को प्रशिक्षण दे रहे अमेरिकी सैनिक जाने ?
दक्षिण चीन सागर में चीनी सेना की बढ़ती दादागिरी के बीच अब अमेरिका ने ड्रैगन को मुंहतोड़ जवाब देने की तैयारी तेज कर दी है। अमेरिकी मीडिया में आई रिपोर्ट में खुलासा हुआ है
कि यूएस आर्मी के ट्रेनर पिछले एक साल से ताइवान की सेना को गुपचुप तरीके से प्रशिक्षण दे रहे हैं। बताया जा रहा है कि अमेरिकी विशेष बलों के करीब 24 सैनिक और कई मरीन सैनिक ताइवान की सेना को ट्रेनिंग दे रहे हैं।
इस बड़े खुलासे से चीन और अमेरिका के बीच तनाव काफी बढ़ने के आसार तेज हो गए हैं। अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जनरल ने ताइवान के सैनिकों को प्रशिक्षण देने का खुलासा किया है।
इन प्रशिक्षकों को सबसे पहले ट्रंप प्रशासन ने ताइवान भेजा था लेकिन अभी तक उनकी उपस्थिति के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई थी। यह खुलासा ऐसे समय पर हुआ है
जब ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग वेन ने शुक्रवार को कहा था कि ताइवान अपने लोकतांत्रिक जीवनशैली और स्वतंत्रता को बचाने के लिए जो जरूरी होगा, उसे करेगा।
ताइपे में ताइवानी राष्ट्रपति ने कहा, ‘ताइवान चीन के साथ सैन्य संघर्ष नहीं चाहता है। ताइवान अपने पड़ोसी देशों के साथ शांतिपूर्ण, स्थायी और आपसी फायदे वाले सहअस्तित्व की आशा करता है।
लेकिन ताइवान अपनी स्वतंत्रता की रक्षा और लोकतांत्रिक जीवनशैली को बचाने के लिए जो भी जरूरी होगा, उसे वह करेगा।’ बताया जा रहा है कि अमेरिकी सेना वर्ष 1979 के बाद से स्थायी रूप से ताइवान में मौजूद नहीं हैं। वर्ष 1979 में ताइवान के साथ अमेरिका ने अपना राजनयिक मिशन शुरू किया था।
पेंटागन के प्रवक्ता जॉन सूप्पल ने कहा कि वह इस खबर पर सीधे तौर पर प्रतिक्रिया नहीं देंगे लेकिन माना कि चीन के वर्तमान खतरे को देखते हुए ताइवान को अपनी रक्षा के लिए सहयोग जारी रहेगा।
हिंद-प्रशांत क्षेत्र के मामलों के विशेषज्ञ जैकब स्टोक्स ने कहा, ‘यह एक महत्वपूर्ण कदम है लेकिन यह मुख्य रूप से उकसावे वाला नहीं है बल्कि ताइवान की रक्षा क्षमता को बढ़ाएगा।’ उन्होंने कहा कि अमेरिका इसे चुपचाप कर रहा है और इसका काफी महत्व है।
इससे पहले ताइवान ने खुलासा किया था कि अमेरिकी मरीन रैडर्स उसकी धरती पर मौजूद हैं। हालांकि उसने कहा कि यह ताइवान-अमेरिका सैन्य आदान- प्रदान का हिस्सा है और प्रशिक्षण में मदद कर रहे हैं।
अमेरिका ने इस खबर को गलत बताया था। इससे पहले चीन के विदेश मंत्रालय ने अमेरिका से अनुरोध किया था कि वह ताइवान को सैन्य मदद देना बंद करे। उसने कहा कि चीन अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय एकजुटता की रक्षा के लिए सभी जरूरी कदम उठाएगा।