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राजस्थान में स्वास्थ्य विभाग की नई बीमारी ने बढ़ाई चिंता

कोरोना के बाद मलेरिया, डेंगू के मामले पर अंकुश लगाने के बाद राजस्थान सरकार के स्वास्थ्य महकमे ने राहत की सांस ली ही थी कि अब एक नई बीमारी ने चिंता बढ़ा दी है. प्रदेश के कुछ जिलों में लेप्टोस्पाईरोसिस बीमारी से ग्रसित मरीज मिल रहे हैं.

बताया जा रहा है कि कुछ जिलों में हर दिन इस बीमारी के नए केस सामने आ रहे हैं. अब स्वास्थ्य विभाग ने सभी जिलों के सीएमएचओ को आगाह कर दिया है. बीमारी को फैलने से रोकने के लिए जरूरी

इंतजाम करने के निर्देश दिए गए हैं. इस बीमारी ने स्वास्थ्य विभाग को चिंता में डाल दिया है. स्वास्थ्य विभाग ने गाइडलाइन के साथ दवाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए हैं.

कोरोना, मलेरिया, डेंगू, स्क्रब टायफस और चिकनगुनिया के बाद अब प्रदेश में लेप्टोस्पाईरोसिस केस बढ़ने लगे हैं. प्रदेश के कुछ जिलों में लेप्टोस्पाईरोसिस के केस रिपोर्ट किए गए हैं. चिकित्सकों के मुताबिक ये रोग लेप्टोस्पाईरा नामक बेक्टीरिया से फैलता है,

जो रोडेन्ट,जंगली और पालुत पशुओं से फैलता है. जिसका इन्क्युवेशन समय 5 से 14 दिनों का होता है. जिन इलाकों में पानी जमा होता है वहां ये रोग ज्यादा फैलता है.

ये रोग दो तरह का होता है. एक एनिक्टेरिक लेप्टोस्पाईरोसिस और दूसरा इक्टेरिक लेप्टोस्पाईरोसिस. एनिक्टेरिक माइल्ड होता है. इसमें 90 फीसदी रोगियों को बुखार और मांसपेशियों में दर्द जैसै लक्षण सामने आते हैं. जबकी इक्टेरिक सिवियर होता है.

इसमें पेट दर्द, उल्टी दस्त और पीलिया भी होता है. अगर मरीज की हालात गंभीर हो जाए तो रक्त स्त्राव किडनी फेलियर और रेस्पीरेटरी फेलियर भी हो जाता है. प्रदेश के कुछ जिलों में लेप्टोस्पाईरोसिस के केस रिपोर्ट होते ही

स्वास्थ्य विभाग ने सभी जिलों के सीएमएचओ को इसे लेकर आगाह करते हुए अलर्ट जारी की है. जनस्वास्थ्य निदेशक डॉ.केके शर्मा ने बताया कि सभी को ऐसे मरीजों की प्रभावी मॉनिटरिंग के निर्देश दिए गए हैं.

स्वास्थ्य विभाग ने गाइडलाइन जारी करते हुए दवाइयों का स्टॉक सुनिश्चित करने के साथ ही पशुपालन विभाग से कॉर्डिनेट करने के निर्देश दिए गए हैं. जनस्वास्थ्य निदेशक डॉ. केके शर्मा ने बताया कि पशुओं के सम्पर्क से बचने के लिए सुरक्षा उपकरण का उपयोग करना चाहिए.

इलाज के लिए कल्चर, माईक्रोस्कॉपी, इम्यूनोलॉजी-एलाईजा, मोलीक्युलर टेस्ट किए जाने चाहिए. जबकी वयस्क मरीज को डॉक्सीसाईक्लीन, गर्भवती महिलाओं के एम्पीसिलिन और बच्चों को एम्पीसिलिन और एमोक्सीसिलिन दवा दी जा सकती है.

लेप्टोस्पाईरोसिस त्वचा के कटे-फटे भाग पर संक्रमित पशु के सम्पर्क, संक्रमित पदार्थ के आंख, मुंह और नाक से सम्पर्क या फिर ड्रोपलेट द्वारा श्वास के माध्यम से फैल सकता है.

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