उत्तर प्रदेश में कानपुर में दशहरे के दिन सबसे पहले दशानन मंदिर में होती है रावण की पूजा
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आज विजयादशमी का पर्व है. दशहरा के दिन बुराई के प्रतीक रावण के पुतले का देश भर में दहन किया जाता है तो वहीं यूपी के कानपुर में दशहरे के दिन सबसे पहले दशानन मंदिर में रावण की पूजा-आरती पूरे विधि विधान से की जाती है. पूरे साल में केवल आज के दिन ही इस मंदिर के द्वार खोले जाते हैं और भक्त लंकेश के दर्शन कर उनसे ज्ञान का आशीर्वाद मांगते हैं.
उत्तर प्रदेश में कानपुर में एक ऐसी जगह है जहां दशहरे के दिन रावण की पूजा की जाती है. इतना ही नहीं यहां पूजा करने के लिए रावण का मंदिर भी मौजूद है. विजय दशमी को सूर्य की पहली किरण के साथ दशानन मंदिर के कपाट खोले जाते है, और पुतला दहन और सूर्य अस्त होने के समय मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं.
विजयदशमी के दिन इस मंदिर में पूरे विधिविधान से रावण का दुग्ध स्नान और अभिषेक कर श्रृंगार किया जाता है. उसके बाद पूजन के साथ रावण की स्तुति कर आरती की जाती है. इस मौके पर दूर-दूर से श्रद्धालु यहां रावण के दर्शन को जुटते हैं. मंदिर वर्ष 1868 में मंदिर स्थापित हुआ था.
इस मंदिर में महिलाएं तरोई के फूल चढ़ाती हैं. इसके पीछे मान्यता है की इससे उनके पति की आयु लम्बी होती है. भक्तों का कहना है की रावण एक महान ब्राह्मण था और उनके मंदिर में शुद्ध सरसों के तेल का दीपक जलाया जाता है और शुद्ध खोये की मिठाई चढ़ाई जाती है जिससे लंकेश प्रसन्न होते हैं.
आज दशहरे के अवसर पर सैकड़ों भक्त मंदिर में इक्कट्ठा हुए और पूजा करने के साथ-साथ रावण की आरती भी की. लोगों का कहना है की रावण विद्वान था और वो भगवान शंकर का भक्त था इसलिए उसकी पूजा साल में एक बार की जाती है.