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जाने कब है अहोई अष्टमी और साथ ही जाने व्रत-पूजन की विधि ?

संतान की लंबी आयु और संतान प्राप्ति की मंशा से किया जाने वाला अहोई अष्टमी व्रत-पूजन, इस वर्ष 28 अक्टूबर को गुरुवार के दिन किया जायेगा. ये व्रत करवा चौथ के तीन दिन बाद अष्टमी तिथि में किया जाता है.

इस दिन माता अहोई की विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती है. साथ ही भगवान शिव और माता पार्वती और उनके पुत्रों की पूजा भी की जाती है. आइये आपको बताते हैं कि अहोई अष्टमी पूजा का क्या महत्त्व है और इस वर्ष पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है.

इस वर्ष अष्टमी तिथि 28 अक्टूबर को गुरुवार के दिन दोपहर 12 बजकर 49 मिनट से शुरू होगी. जो कि 29 अक्टूबर को शुक्रवार के दिन दोपहर 02 बजकर 09 मिनट तक बनी रहेगी. अहोई अष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त 28 अक्टूबर को शाम 05 बजकर 39 मिनट से शाम 06 बजकर 56 मिनट तक का रहेगा.

अहोई अष्टमी व्रत महिलाएं अपने बच्चों की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए रखती हैं. कई जगहों पर मां न होने की स्थिति में पिता भी ये व्रत रखते हैं. अहोई अष्टमी पर अपने-अपने सामर्थ्य के अनुसार लोग निर्जला या फलाहारी व्रत रखते हैं.

इस दिन भगवान गणेश और कार्तिकेय की माता पार्वती की उपासना की जाती है. कहा जाता है कि जो लोग इस दिन व्रत रखते हैं. उनकी संतानों को लम्बी आयु के साथ यश, कीर्ति, वैभव,

सुख और समृद्धि प्राप्त होती है. इस व्रत में शाम को तारे देखकर उनको अर्घ्य अर्पित कर व्रत का पारण किया जाता है. तो कुछ जगहों पर व्रत का पारण चांद देखकर भी किया जाता है.

अहोई अष्टमी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें. फिर अहोई अष्टमी व्रत रखने का संकल्प लें. दीवार पर अहोई माता की तस्वीर बनायें. साथ ही सेह और उनके सात पुत्रों का चित्र भी बनायें. आप चाहें तो उनका रेडिमेड चित्र या प्रतिमा भी लगा सकते हैं.

फिर चौक लगाएं और अब इस पर जल से भरा हुआ कलश रखें. इसके बाद रोली, चावल और दूध से मां का पूजन करें और अहोई माता को मीठे पुए या आटे के हलवे का भोग लगाएं.

कलश पर स्वास्तिक बनाकर हाथ में गेंहू के सात दाने लें, फिर अहोई अष्टमी की कथा सुने. इसके बाद तारों को अर्घ्य देकर अपने से बड़ों के पैर छूकर आशीर्वाद लें और व्रत का पारण करें।

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