अमेरिका ने हाइपरसोनिक मिसाइल तकनीक का किया सफलतापूर्वक परीक्षण
दुनिया भर में हथियारों की नई तकनीक विकसीत करने की होड़ लगी है. इस बीच संयुक्त राज्य अमेरिका ने हाइपरसोनिक मिसाइल तकनीक का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है.
अमेरिकी नौसेना ने एक बयान में कहा कि वर्जीनिया के वॉलॉप्स में नासा की देखरेख में ये परीक्षण किया गया है. इसे नौसेना द्वारा डिजाइन की गई सामान्य हाइपरसोनिक मिसाइल के विकास में एक महत्वपूर्ण कदम बताया जा रहा है.
हालांकि अमेरिका के परीक्षण से पहले इस नई तकनीक प्रणाली को चीन और रूस अपना चुका है. अमेरिका ने इस परीक्षण के जरिए हाइपरसोनिक प्रौद्योगिकियों, क्षमताओं और प्रोटोटाइप सिस्टम का प्रदर्शन किया है.
हाइपरसोनिक मिसाइलें, पारंपरिक बैलिस्टिक मिसाइलों की तरह, ध्वनि की गति से पांच गुना अधिक तेज गति से उड़ सकती हैं. ये सामान्य वैलिस्टिक मिसाइलों की तुलना में अधिक विकसीत हैं और आसमान में दुश्मन का आसानी से पता लगा सकती है जिससे उनका बचना मुश्किल होता है.
निरस्त्रीकरण सम्मेलन में अमेरिका के स्थायी प्रतिनिधि, राजदूत रॉबर्ट वुड ने इस हफ्ते की की शुरुआत में उन रिपोर्टों के बाद चिंता व्यक्त की थी कि चीन ने अगस्त में परमाणु क्षमता वाली हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण किया था.
वुड ने कहा कि हम इस बात से बहुत चिंतित हैं कि चीन हाइपरसोनिक मोर्चे पर क्या कर रहा है. वुड ने कहा कि रूस के पास भी हाइपरसोनिक तकनीक है जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका ने इस क्षेत्र में एक सैन्य क्षमता विकसित करने से पीछे हटना शुरू कर दिया था
लेकिन अब उसके पास कोई विकल्प नहीं था और अपने बचाव के लिए एक तरीका निकालना जरूरी था. हाइपरसोनिक तकनीक में कौन से अन्य एप्लिकेशन और रक्षात्मक अनुप्रयोग लाए जा सकते हैं. इस पर भी काम जारी है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने हाल ही में एक हाइपरसोनिक मिसाइल लॉन्च की थी जिसने लैंडिंग से पहले ग्रह का एक सर्किट पूरा कर लिया लेकिन उसका लक्ष्य चूक गया था. इससे पहले चीन ने 2019 में एक हाइपरसोनिक मध्यम दूरी की मिसाइल, DF-17 का अनावरण किया,
जो लगभग 2,000 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली थी. ये अपनी साथ परमाणु हथियार भी ले जा सकती है. हालांकि काफी आलोचना के बाद चीन ने जोर देकर कहा कि परीक्षण एक मिसाइल के बजाय एक अंतरिक्ष यान के लिए एक नियमित परीक्षण था.
बताया जाता है कि रूस ने हाल ही में एक पनडुब्बी से एक हाइपरसोनिक मिसाइल जिरकोन लॉन्च किया और 2019 के अंत से हाइपरसोनिक परमाणु-सक्षम अवनगार्ड मिसाइलों को तैनात किया है. अवनगार्ड बहुत ही विकसित मिसाइल है
जो दुश्मन को पल भर में धाराशायी कर सकता है. बहरहाल चीन और रूस के विकसित हथियारों को देखते हुए अमेरिका भी काफी सतर्क है और वो भी इस दौड़ में पीछे नहीं रहना चाहता.
लिहाजा वो इसे सर्वोच्च प्राथमिकता के तौर पर इसे ले रहा है. पेंटागन 2025 तक अपने पहले हाइपरसोनिक हथियारों को तैनात करने की उम्मीद कर रहा है.