उत्तर प्रदेश राज्य में फार्मा उद्योग की स्थापना और विकास के लिए गुणवत्तापूर्ण अवसंरचनात्मक ढांचे की सुविधा प्रदान होगी
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा ’’उत्तर प्रदेश फार्मास्युटिकल उद्योग (द्वितीय संशोधन) नीति-2021 प्रख्यापित कर दी गई है। इसके संबंध में प्रमुख सचिव खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग, श्रीमती अनीता सिंह द्वारा अधिसूचना जारी कर दी गई है। उत्तर प्रदेश फार्मास्युटिकल उद्योग नीति (द्वितीय संशोधन) 2021 के अन्तर्गत फार्मूलेशन, सक्रिय फार्मास्युटिकल सामग्री (एपीआई), मुख्य प्रारंभिक सामग्री (केएसएम), ड्रग इंटरमीडिएट (डीआई) और चिकित्सा युक्तियों के विनिर्माण के लिए अत्याधुनिक फार्मास्युटिकल पार्क की स्थापना को बढ़ावा मिलेगा। इस नीति का उद्देश्य अत्याधुनिक फार्मास्युटिकल अनुसंधान को प्रोत्साहित करना, विश्व स्तरीय अवसंरचनात्मक ढांचे का निर्माण करना एवं राज्य के विकास में योगदान करने के लिए विश्व की सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं को आकर्षित करना है। साथ ही अनुसंधान एवं विकास संस्थाओं को सुविधा प्रदान करके और फार्मास्युटिकल क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास के लिए अपेक्षाकृत अधिक धनराशि का योगदान करके फार्मास्युटिकल क्षेत्र में बौद्धिक संपदा (आईपी) के सृजन को तथा आयुष स्वास्थ्य देखभाल उत्पादों के विनिर्माण और अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देकर आयुष स्वास्थ्य सेवा को बढ़ावा देना है।
इस नीति में फार्मा पार्क पर फोकस करते हुए उपबंध किया गया है कि उत्तर प्रदेश राज्य सरकार में फार्मा उद्योग की स्थापना और विकास के लिए गुणवत्तापूर्ण अवसंरचनात्मक ढांचे और अवलम्बपरक आधार की सुविधा प्रदान करेगी। यह नीति एलोपैथिक, आयुष उत्पादों, चिकित्सा युक्तियों और बल्क ड्रग विनिर्माण में प्रयुक्त प्रमुख प्रारंभिक सामग्री/ड्रग इंटरमीडिएट्स के विनिर्माण के लिए भूमि पार्सलों की पहचान करने और पार्क विकसित करने हेतु आशयित है। ये पार्क रेडी-टू-यूज अवसंरचनात्मक सुविधाओं यथा- कॉमन टेस्टिंग लेबोरेटरी, डायग्रोस्टिक सेंटर, पावर स्टेशन, कोल्ड स्टोरेज, कॉमन फैसिलिटी सेंटर, एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट और ’वॉक टू वर्क’ अवधारणा पर निर्मित अन्य आधारभूत सुविधाओं से सज्जित होंगे। राज्य विकासकर्ताओं को ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट और समय-समय पर बनायी गयी नियमावली या किसी अन्य सुसंगत विधि के अधीन यथा विनिर्दिष्ट मानकों के आधार पर एपीआई/फॉर्मूलेशन लैब की आवश्यकता को पूरा करने वाली गुणवत्तापरक परीक्षण सुविधाओं के निर्माण के लिए प्रोत्साहित करेगी। यह नीति राज्य में सक्षम प्राधिकारी द्वारा सम्यक् रूप से प्रमाणित/अनुमोदितप्रयोगशालाओं की स्थापना को बढ़ावा देती है।
यह नीति एपीआई/फॉर्मूलेशन प्रयोगशाला का गुणवत्तापरक भरोसा और फार्मास्युटिकल उद्योग का मेरूदण्ड है। ऐसी प्रयोगशाला से ऐसी चुनौतियों, यथा एक्सेसिव लाजिस्टिक्स एवं अवसंरचनात्मक विनिधान का समाधान होगा। सरकार, प्रमुख अनुसंधान संस्थानों और औषधि परीक्षण प्रयोगशालाओं के परामर्श से कॉमन परीक्षण प्रयोगशाला स्थापित करने की सुविधा प्रदान करेगी। फार्मास्युटिकल क्षेत्र की शक्ति काफी हद तक समय के साथ क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास की प्रगति पर निर्भर करती है। उदीयमान वैश्विक रूझानों को पूरा करने के लिए फार्मा क्षेत्र के सतत विकास के लिए नवपरिवर्तन आवश्यक है। उत्तर प्रदेश इस क्षेत्र में विश्व के प्रतिष्ठित अनुसंधान केंद्रों और विद्यमान शिक्षा और अनुसंधानपरक आधार का केन्द्र भी है, जो अपार ज्ञान प्रदान करता है और जैव-तकनीक तथा फार्मा क्षेत्र में नवपरिवर्तनों की क्षमता रखता है।
संशोधित नीति के तहत नवपरिवर्तनों और स्टार्ट-अप को प्रोत्साहन दिया जायेगा। राज्य, फार्मास्युटिकल क्षेत्र में नए उपक्रमों के माध्यम से नवपरिवर्तनों को प्रोत्साहित करेगा। फार्मास्युटिकल क्षेत्र में स्टार्ट-अप को बढ़ावा देने के उद्देश्य से राज्य, समय-समय पर यथा संशोधित उत्तर प्रदेश स्टार्टअप नीति, 2020 के अधीन स्थापित उत्तर प्रदेश स्टार्ट-अप फंड का उपयोग मुख्य प्रारम्भिक सामग्री और ड्रग इंटरमीडिएट्स सहित बल्क ड्रग/एपीआई और चिकित्सा युक्तियों के विनिर्माण को बढ़ाने के लिए करेगी। सीएसआईआर अनुसंधान संस्थानों की सहायता से स्टार्ट-अप इकाइयों का चयन किया जाएगा। शिक्षण संस्थानों, मेडिकल कालेजों और विश्वविद्यालयों में इनक्यूबेटर स्थापित किए जाएंगे। उक्त नीति में फार्मा क्षेत्र में स्टार्टअप्स को उनके व्यवसाय मॉडल को बढ़ाने में सहायता करने का उपबंध निहित है।
निजी फार्मास्युटिकल पार्क के लिए उत्तर प्रदेश सरकार, राज्य में विशेष रूप से मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र पर अवलम्बित क्षेत्रों में, फार्मास्युटिकल पार्क स्थापित करने की सुविधा प्रदान करेगी। इस नीति के अधीन फार्मा पार्क स्थापित करने के लिए केन्द्रित जिलों में गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद, आगरा, कानपुर, लखनऊ, झांसी, गोरखपुर, वाराणसी, प्रयागराज, ललितपुर, पीलीभीत और आजमगढ़ सम्मिलित होंगे। ये पार्क ’प्लंग-एंड-प्ले’ औद्योगिक अवसंरचनात्मक ढांचा प्रदान करेंगे, जिससे कंपनियां अपने मुख्य व्यवसाय पर ध्यान केन्द्रित कर सकेंगी। इसमें विनिर्माण क्षेत्र, परीक्षण क्षेत्र, कोल्ड स्टोरेज और वेयरहाउसिंग, सामान्य सुविधा केंद्र, छात्रावास क्षेत्र, अन्य सुविधाएं यथा स्टैंडअलोन पावर स्टेशन, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट आदि सम्मिलित होंगे।
नीति में इकाइयों को प्रोत्साहन किया जायेगा। फार्मास्युटिकल क्षेत्र में औद्योगिक निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार रियायतें, सब्सिडी और वित्तीय सहायता प्रदान करेगी। इस प्रयोजन के लिए, इस नीति के अधीन पात्र नई फार्मास्युटिकल इकाइयों को प्रोत्साहन दिये जायेंगे प्रोत्साहन के तहत प्रति इकाई अधिकतम 1 करोड़ रुपये/प्रति वर्ष सब्सिडी के अध्याधीन, संयंत्र और मशीनरी की खरीद हेतु लिए गए ऋण पर प्रतिपूर्ति के रूप में 5 वर्षों के लिए प्रति वर्ष ब्याज राशि का 50 प्रतिशत ब्याज सब्सिडी, प्रति यूनिट प्रति वर्ष दी जायेगी। उद्योग अनुसंधान सब्सिडी-औद्योगिक अनुसंधान, गुणवत्तापरक सुधार और उत्पादों के विकास हेतु परीक्षण प्रयोगशालाओं और गुणवत्ता प्रमाणन प्रयोगशालाओं की स्थापना हेतु संयंत्र, मशीनरी तथा उपकरणों की खरीद पर आवर्ती व्यय द्वारा लिये गये ऋण पर प्रतिपूर्ति के रूप में 2 करोड़ रुपये की अधिकतम सीमा के 5 वर्षों के लिए प्रति वर्ष ब्याज राशि का 50 प्रतिशत ब्याज सब्सिडी। इस नीति के अधीन संयंत्र और मशीनरी के निवेश पर पूंजीगत सब्सिडी प्रदान की जायेगी। सब्सिडी की राशि निवेश मूल्य का 15 प्रतिशत होगी, जो अधिकतम 200 करोड़ रुपये की सब्सिडी के अधीन होगी। पात्र सब्सिडी 7 वर्ष की अवधि में किस्तों में प्रदान की जायेगी और प्रथम किस्त वास्तविक उत्पादन प्रारम्भ होने के पश्चात प्रदान की जायेगी। इसके अतिरिक्त नीति के तहत निजी फार्मास्युटिकल पार्कों में स्थापित इकाइयों कोे अन्य व्यक्गित इकाइयों के समान प्रोत्साहन की प्रसुविधाएं प्राप्त होंगी।
बल्क ड्रग पार्क और मेडिकल डिवाइस पार्क के लिए विशेष पैकेज की व्यवस्था की गई है जिसमें बल्क ड्रग पार्कों/चिकित्सा युक्ति पार्कों में स्थापित इकाइयों को 10 वर्ष की अवधि के लिए व्याज अनुदान प्रदान किया जायेगा। एयर कार्गों हैंडलिंग चार्ज और फ्रेट इंसेटिव के तहत कच्चे माल और तैयार माल को देश के अन्दर तथा बाहर परिवहन के लिए, राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर तय की गई दर पर एयर कार्गों हैंडलिंग चार्ज और फ्रेट चार्ज के लिए विशेष प्रोत्साहन प्रदान किया जायेगा।
अनुसंधान एवं विकास संस्थान की सहायता के लिए बायोटेक, चिकित्सा युक्तियों और फार्मा क्षेत्र में अनुसंधान और विकास के लिए स्थापित नए अनुसंधान एवं विकास संस्थानों को भूमि एवं भवन लागत को छोड़कर, ऐसी सुविधा स्थापित करने हेतु लिए गए ऋण पर 60 प्रतिशत ब्याज की प्रतिपूर्ति के रूप में, प्रति परियोजना अधिकतम 2 करोड़ रूपये की सीमा तक पूंजीगत ब्याज सब्सिडी प्रदान की जायेगी।
नीति अवधि के दौरान एक वित्तीय वर्ष में उत्तर प्रदेश के भीतर स्थित यूजीसी/सरकार/एआईसीटीई द्वारा अनुमोदित मान्यता प्राप्त अनुसंधान एवं विकास संस्थान को किसी औद्योगिक इकाई/उद्योग संघ द्वारा अनुबंधित/प्रायोजित बायोटेक और फार्मास्युटिकल अनुसंधान परियोजनाओं के अनुसंधान कार्य के लिए पात्र परियोजनाओं के अनुसंधान कार्य के लिए पात्र परियोजना लागत का 50 प्रतिशत भूमि एवं भवन लागत को छोड़कर, अधिकतम रुपये 2 करोड़ की सब्सिडी पर विचार किया जायेगा। पेटेण्ट फाइलिंग फीस, घरेलू पेटेण्ट के लिए अधिकतम ब्याज 1.5 लाख रुपये के प्रदत्त पेटेण्ट पर वास्तविक फाइलिंग लागत का 100 प्रतिशत तक तथा अन्तर्राष्ट्रीय पेटेण्ट के लिए अधिकतम ब्याज 5 लाख रुपये के प्रदत्त पेटेण्ट पर वास्तविक फाइलिंग लागत का 50 प्रतिशत तक प्रतिपूर्ति की जायेगी। आयुष और फाइटोमेडिसिन की विनिर्माणकर्ता इकाईयां पॉलिसी अवधि में प्रदत्त पेटेण्ट पर वास्तविक पेटेंट फाइलिंग लागत की पूर्ण प्रतिपूर्ति के लिए पात्र होंगी। निर्यात के लिए प्रमाणन/अनुमोदन-एपीआई/फार्मूलेशन के निर्यात के लिए यूएसएफडीए, डब्ल्यूएचओ प्री-क्वालिफिकेशन, ईडीक्यूएम, एमएचआरए या किसी अन्य अंतर्राष्ट्रीय प्रमाण पत्र/अनुमोदन/अनुमोदन के लिए उपगत आवेदन फीस का 50 प्रतिशत, प्रति इकाई 10 उत्पाद तक प्रति उत्पाद 25 लाख रुपये की प्रतिपूर्ति। यह प्रोत्साहन कम से कम 100 करोड़ रुपये के वाणिज्यिक निर्यात के सत्यापन के पश्चात दिया जायेगा।
नवपरिवर्तन और स्टार्ट अप के अंतर्गत सरकार, सरकारी फार्मेसी कॉलेजों संस्थानों/विश्वविद्यालयों और सरकारी अनुसंधान संस्थानों में इनक्यूबेटर स्थापित करेगी। राज्य सरकार निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी में इनक्यूबेटर भी स्थापित करेगी। एफएसडीए नोडल अधिकारी प्रतिनियुक्त करेगा, जो फार्मास्युटिकल इकाइयों की स्थापना के लिए आवश्यक प्रदूषण अनापत्ति प्रमाण-पत्र, अग्नि अनापत्ति प्रमाण-पत्र और अन्य अनापत्ति प्रमाण-पत्र/प्रमाणपत्रों की मंजूरी में निवेशकों की सहायता करेगा। एफएसडीए टीम द्वारा परियोजना का पूर्व परामर्श निवेशक, परियोजना और भवन योजना का डोजियर प्रस्तुत करेगा, जिसका परीक्षण, परियोजना की संभाव्यता का आकलन करने के लिए एफएसडीए टीम द्वारा की जाएगी। डोजियर की सफलतापूर्वक संवीक्षा करने के पश्चात निवेशक को लेटर ऑफ कम्फर्ट जारी किया जायेगा। केन्द्र सरकार की योजना के अधीन स्वीकृत कोई बल्क ड्रग पार्क/मेडिकल डिवाइस पार्क, औद्योगिक विकास विभाग द्वारा विकसित किया जायेगा।