जाने मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत एवं पूजा की विधि
इस वर्ष की मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत 18 दिसंबर दिन शनिवार को है. इसे अगहन पूर्णिमा भी कहते हैं. मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत विधि पूर्वक करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और सभी पाप नष्ट हो जाते हैं. मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत के दिन पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है.
मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत करने और चंद्रमा की पूजा करने से चंद्र दोष भी दूर होता है. इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान शिव की भी पूजा करने का विधान है. मार्गशीर्ष पूर्णिमा की लक्ष्मी पूजा धन, धान्य और समृद्धि देने वाला होता है.
इस बार मार्गशीर्ष पूर्णिमा शनिवार के दिन है. इस दिन व्रत रखने से शनि दोष से भी राहत मिलेगी. आइए जानते हैं मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत और पूजा विधि, पूजा मुहूर्त, चंद्रोदय समय आदि के बारे में
मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2021 व्रत एवं पूजा विधि
यदि आप मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत रखना चाहते हैं तो आपको आज यानी मार्गशीर्ष शुक्ल चतुर्दशी को मांस, मदिरा या तामसी भोजन नहीं करना चाहिए. आज से ही मन, वचन और कर्म से पवित्रता को अपनाना चाहिए.
- मार्गशीर्ष पूर्णिमा के प्रात:काल स्नान करें और सफेद कपड़े पहनें.
- इसके बाद हाथ में जल लेकर मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत एवं चंद्रमा की पूजा का संकल्प लें.
- इसके बाद आप अपने पितरों का स्मरण करें.
- फिर पूजा स्थान पर भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करें. यदि माता लक्ष्मी के साथ वाली तस्वीर हो तो अच्छा है.
- अब विधिपूर्वक ओम भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र का उच्चारण करते हुए श्रीहरि को फूल, माला, चंदन, अक्षत्, तुलसी, पंचामृत, फल, मिष्ठान आदि अर्पित करें. फिर माता लक्ष्मी को भी लाल फूल, सफेद मिठाई, फल, धूप, दीप चढ़ाएं.
- सत्यनारायण भगवान की कथा का पाठ करें. हवन सामग्री है तो हवन कर सकते हैं. अंत में आरती करें.
- दिनभर फलाहार करें और रात के समय में चंद्रमा का पूजन करें. चंद्रमा को जल अर्पित करें.
- रात्रि के समय में भगवत जागरण करें और अगले दिन प्रात: स्नान के बाद पूजा करके दान आदि करें.
- दान देने के बाद पारण करके मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत को पूर्ण करें.
मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन चंद्रमा के उदय होने का समय शाम 04 बजकर 46 मिनट पर है. रात्रि के समय में चंद्रमा को जल अर्पित किया जाता है.मार्गशीर्ष पूर्णिमा का दिन बहुत ही उत्तम है. इस दिन सुबह से ही उत्तम योग बने हुए हैं.
प्रात:काल में साध्य योग बन रहा है, उसके बाद शुभ योग है. वहीं सुबह 07:15 बजे से लेकर दोपहर 01:49 बजे से तक रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग है. इस दिन अभिजित मुहूर्त दोपहर 12:15 बजे से दोपहर 12:58 बजे तक है. आप सुबह से ही मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत की पूजा कर सकते हैं.