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रविवार के दिन सूर्य देव की आराधना करने से कुंडली से ग्रहों का दुष्प्रभाव होगा कम

आज से हिन्दू कैलेंडर का नया माह पौष का प्रारंभ हुआ है. आज पौष माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि और रविवार दिन है. आज रविवार के दिन आपको सूर्य देव की आराधना करनी चाहिए.

रविवार को प्रात: सूर्य को जल देने से भी सूर्य देव प्रसन्न होते हैं. यदि आपकी कुंडली में सूर्य कमजोर स्थिति में है, तो आपको रोज ​प्रात: स्नान के बाद सूर्य देव को जल अर्पित करना चाहिए.

इसके साथ ही कुछ और ग्रह कमजोर हैं या उनकी स्थिति नीच की है तो उनके दुष्प्रभाव को दूर करने और ग्रहों के दोषों से मुक्ति के लिए नवग्रह पीड़ाहर स्तोत्र का पाठ करना चाहिए.

इसके पाठ से सूर्य देव समेत सभी 9 ग्रह प्रसन्न होंगे और आपकी कुंडली से ग्रहों का दुष्प्रभाव दूर होगा. उनकी स्थिति मजबूत होगी और वे आपकी तरक्की में सहायक होंगे.

ब्रह्माण्ड पुराण में ग्रहों की पीड़ा से निवारण के लिए नवग्रह पीड़ाहर स्तोत्र के महत्व को बताया गया है. इस स्तोत्र में सूर्य समेत सभी ग्रहों से बारी बारी से पीड़ा दूर करने की प्रार्थना की गई है. आइए जानते हैं नवग्रह पीड़ाहर स्तोत्र के बारे में.

ग्रहाणामादिरात्यो लोकरक्षणकारक:। विषमस्थानसम्भूतां पीडां हरतु मे रवि:।।1।।
रोहिणीश: सुधा‍मूर्ति: सुधागात्र: सुधाशन:। विषमस्थानसम्भूतां पीडां हरतु मे विधु:।।2।।
भूमिपुत्रो महातेजा जगतां भयकृत् सदा। वृष्टिकृद् वृष्टिहर्ता च पीडां हरतु में कुज:।।3।।
उत्पातरूपो जगतां चन्द्रपुत्रो महाद्युति:। सूर्यप्रियकरो विद्वान् पीडां हरतु मे बुध:।।4।।
देवमन्त्री विशालाक्ष: सदा लोकहिते रत:। अनेकशिष्यसम्पूर्ण: पीडां हरतु मे गुरु:।।5।।
दैत्यमन्त्री गुरुस्तेषां प्राणदश्च महामति:। प्रभु: ताराग्रहाणां च पीडां हरतु मे भृगु: ।।6।।
सूर्यपुत्रो दीर्घदेहा विशालाक्ष: शिवप्रिय:। मन्दचार: प्रसन्नात्मा पीडां हरतु मे शनि:।।7।।
अनेकरूपवर्णेश्च शतशोऽथ सहस्त्रदृक्। उत्पातरूपो जगतां पीडां हरतु मे तम:।।8।।
महाशिरा महावक्त्रो दीर्घदंष्ट्रो महाबल:। अतनुश्चोर्ध्वकेशश्च पीडां हरतु मे शिखी:।।9।।

इस स्तोत्र के माध्यम से सबसे पहले सूर्य देव, फिर चंद्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु ग्रह से पीड़ा दूर करने की प्रार्थना की गई है. आज रविवार का दिन है और यह सूर्य देव से संबंधित है तो आप आज से ही नवग्रह पीड़ाहर स्तोत्र पाठ का प्रारंभ कर सकते हैं.

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