मध्य प्रदेश पंचायत चुनाव का मामला एक बार फिर पहुंचा सुप्रीम कोर्ट

मध्य प्रदेश पंचायत चुनाव का मामला एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. इस बार प्रदेश सरकार ने 17 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ एप्लीकेशन फॉर रीकॉल का आवेदन दिया है. इस पर सुप्रीम कोर्ट जल्द सुनवाई कर सकता है.
गौरतलब है कि, प्रदेश सरकार का यह रुख बुधवार को निर्वाचन आयोग को लिखे पत्र के बाद स्पष्ट हुआ. इसमें सरकार ने निर्वाचन आयोग से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई तक प्रतीक्षा करने की अपील की है.
बुधवार को निर्वाचन आयोग ने प्रदेश सरकार को रिमाइंडर लेटर लिखा था. आयोग ने सरकार से कहा था कि 3 दिन की मियाद देने के बावजूद भी मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव से जुड़ी ओबीसी सीटों को सामान्य नहीं किया गया. ऐसा करना सुप्रीम कोर्ट की अवमानना है. निर्वाचन आयोग ने सरकार को जल्द अधिसूचना जारी कर सूचित करने का आग्रह किया था.
बता दें, निर्वाचन आयोग के रिमाइंडर लेटर के बाद सरकार ने भी देर शाम पत्र जारी करते हुए अपनी मंशा स्पष्ट कर दी. प्रदेश में ओबीसी के लिए आरक्षित 70 हजार पदों को छोड़कर शेष बची एससी,
एसटी और सामान्य वर्ग की 3 लाख 25 हजार सीटों पर निर्धारित कार्यक्रम के तहत चुनाव होने हैं. 6 जनवरी को पहला चरण, 28 जनवरी को दूसरा चरण और 16 फरवरी को तीसरे चरण के लिए मतदान होना है.
वोटों की गिनती 23 फरवरी को होगी, लेकिन चुनाव परिणाम घोषित नहीं होंगे. जब तक ओबीसी के पदों को सामान्य घोषित करने के बाद चुनाव नहीं हो जाते तब तक परिणाम पर रोक बरकरार रहेगी. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के परिपालन में आयोग ने एक और आदेश निकालते हुए कहा कि जो उम्मीदवार निर्विरोध जीतेंगे उनका भी रिजल्ट रोका जाएगा.
सीएम शिवराज सिंह चौहान ने सदन में बड़ा ऐलान किया है. उन्होंने कहा- मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव में OBC आरक्षण के साथ होगा. इसके लिए सरकार कोर्ट जाएगी. OBC आरक्षण के मसले पर मध्य प्रदेश की राजनीति गर्मायी हुई है.
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश विधानसभा में कह चुके हैं कि एमपी में पंचायत चुनाव ओबीसी आरक्षण के साथ ही होंगे. जरूरत पड़ी तो इसके लिए सरकार कोर्ट जाएगी. सीएम ने बताया कि इस मसले पर उनकी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से चर्चा हुई है.
साथ ही कानूनविदों से भी इसपर मंथन किया गया. पंचायत चुनाव में OBC आरक्षण सरकार के गले की हड्डी बन गया है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ओबीसी सीट को सामान्य किया जाना है.
लेकिन ओबीसी नेता इससे नाराज हैं. पार्टी की दिग्गज ओबीसी नेता उमा भारती भी सरकार के खिलाफ खड़ी दिखाई दे रही थीं. अब सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि पिछड़े वर्ग के कल्याण के लिए सरकार वचनबद्ध है. हम ओबीसी हित में ही काम करेंगे.