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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर के रामगढ़ ताल में सी-प्लेन चलाने की घोषणा की

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का एक और सपना जल्द ही पूरा होने वाला है. पूर्वांचल के उत्तरी हिस्से में पर्यटन को बढ़ावा देने में उनका ये फैसला मील का पत्थर साबित होगा.

सीएम योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर के रामगढ़ ताल में सी-प्लेन चलाने की घोषणा की है और अब इस पर प्रशासनिक स्तर पर मंथन तेज हो गया है. गुरु गोरक्षनाथ की नगरी गोरखपुर के रामगढ़ ताल से भगवान

भोले शंकर की नगरी काशी तक ये प्लेन चलाया जाएगा. सी-प्लेन उतारने का जो मानक होता है उसे रामगढ़ ताल पूरा करता है. ताल की लंबाई-चौड़ाई और गहराई मानक के अनुसार है.

दरअसल केंद्र सरकार ने उड़ान योजना के तहत पूरे देश में 100 सी-प्लेन चलाने की घोषणा की है. पहले चरण में स्पाइस जेट को 18 जगहों पर सी-प्लेन चलाने की अनुमति मिल गई है. गोरखपुर से वाराणसी के बीच भी स्पाइस जेट को सी-प्लेन चलने की जिम्मेदारी दी गई है.

गोरखपुर से वाराणसी की दूरी करीब 200 किलोमीटर है, जबकि हवाई मार्ग से ये दूरी बेहद कम है. ऐसे में गोरखपुर से वाराणसी की यह दूरी महज 40 से 45 मिनट में पूरी की जा सकती है.

देश में पहला सी-प्लेन गुजरात के अहमदाबाद में साबरमती रिवरफ्रंट से केवड़िया तक संचालित किया जा रहा है. इसे स्पाइस जेट ही संचालित कर रहा है. इसमें 12 लोग एक बार में सफर तय कर सकते हैं. ‘आटर 300’ श्रेणी के इस सी-प्लेन का निर्माण जापान में हुआ है.

सी-प्लेन उड़ने एवं उतरने के लिए पानी में ही एक हवाई अड्डा बनाना होगा. इसकी लंबाई करीब 1160 मीटर, जबकि चौड़ाई 120 मीटर होनी चाहिए. हवाईअड्डा के क्षेत्र में पानी की गहराई कम से कम 1.8 मीटर होनी चाहिए. किनारे की ओर करीब 1.8 एकड़ भूखंड जरूरी है. ये भी हवाईअड्डा ऐसी जगह बनाया जाएगा जहां प्रवासी पक्षियों की गतिविधियां न हों.

सी-प्लेन के लिए जितने भी मानक तय किए गए हैं, वे सभी मानक रामगढ़ताल में पूरे हो रहे हैं. उत्तर से दक्षिण तक इसका फैलाव 4.2 किलोमीटर में है. इसी तरह पूरब से पश्चिम में यह ताल 2.5 किलोमीटर में फैला है.

गर्मी में भी ताल की अधिकतम गहराई 2.5 मीटर, जबकि बरसात के समय अधिकतम गहराई चार मीटर है. नजदीकी एयरपोर्ट से एरियल दूरी तीन किलोमीटर है.

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