आज सकट चौथ या संकटा चौथ का व्रत जाने क्या है पूजा मुहूर्त ?
आज सकट चौथ या संकटा चौथ का व्रत है. यह व्रत करने से जीवन में आने वाले सभी संकटों का नाश हो जाता है, संतान और परिवार सुरक्षित रहता है. माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को सकट चौथ होता है.
इस दिन भगवान गणेश जी की पूजा की जाती है और निर्जला व्रत रखा जाता है. इस साल सकट चौथ या तिलकुट चौथ पर सुंदर योग बना है. आज सौभाग्य योग प्रात:काल से लेकर दोपहर 03:06 बजे तक है और फिर शोभन योग शुरू हो जाएगा.
सौभाग्य योग में की जाने वाली गणेश जी की पूजा सुख और सौभाग्य को बढ़ाने वाला है. आइए जानते हैं सकट चौथ के पूजा मुहूर्त , मंत्र , कथा और चंद्रोदय समय के बारे में.
सकट चौथ 2022 पूजा मुहूर्त
हिन्दू कैलेंडर के आधार पर माघ कृष्ण चतुर्थी आज प्रात: 08:51 बजे से लगकर कल 22 जनवरी को सुबह 09:14 बजे तक है. 21 जनवरी को मघा नक्षत्र प्रात: 09:43 बजे तक है. मघा नक्षत्र मांगलिक कार्यों के लिए शुभ नहीं माना जाता है, इसलिए आप सकट चौथ की पूजा प्रात: 09:43 के बाद करें. उसके बाद भी पूजा के लिए सौभाग्य योग बना रहेगा.
आज के दिन शुभ मुहूर्त दोपहर 12:11 से दोपहर 12:54 बजे तक है. इस समय आप किसी शुभ कार्य को प्रारंभ करना चाहते हैं, तो कर सकते हैं.
आज का दिन उत्तम है.
सकट चौथ 2022 चंद्रोदय समय
आज सकट चौथ की पूजा के लिए चंद्रमा का उदय रात 09:00 बजे होगा. इस समय तक आपको इंतजार करना होगा क्योंकि सकट चौथ पूजा दोपहर तक कर लेंगे, लेकिन बिना चंद्रमा को जल अर्पित किए आप पारण नहीं कर सकते.
सकट चौथ पूजा के लिए गणेश मंत्र
गणेश जी की पूजा के समय आप ओम गं गणपतये नमः, श्रीगणेशाय नम:, ओम वक्रतुण्डाय नम:, ओम एकदन्ताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात और ओम वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ:, निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा. मंत्रों का उपयोग कर सकते हैं.
सकट चौथ व्रत कथा
पौराणिक कथा में बताया गया है कि राजा हरिश्चंद्र के राज्य में एक कुम्हार रहता था. उसके मिट्टी के बर्तन सही से आग में पकते नहीं थे, जिस वजह से उसकी आय ठीक नहीं होती थी. उसने अपना समस्या एक पुजारी से कही.
पुजारी ने उससे कहा कि जब मिट्टी के बर्तन पकाना हो तो, बर्तनों के साथ आंवा में एक छोटे बालक को भी डाल दो. ऐसा एक बार करने के बाद तुम्हारी समस्या दूर हो जाएगी. उसने वैसा ही किया.
उस दिन सकट चौथ था. उस बालक की मां ने सकट चौथ व्रत रखा था. वह अपने बच्चे को तलाश रही थी, लेकिन वह नहीं मिला. उसे गणेश जी से उसकी रक्षा की प्रार्थना की.
उधर कुम्हार अगले दिन सुबह जब आंवा में अपने मिट्टी के बर्तनों को देखा, तो सभी अच्छे से पके थे. उसे आश्चर्य तब हुआ, जब उसने बालक को जीवित देखा. उसकी रक्षा गणेश जी ने की थी. वह डर कर राजा के दरबार में गया और सारी बात बताई.
राजा के आदेश पर बालक और उसकी माता को दरबार में आए. तब उस बालक की माता ने सकट चौथ व्रत रखने और गणेश जी से बच्चे की सुरक्षा की प्रार्थना करने वाली बात बताई.
यह घटना पूरे राज्य में चर्चा का विषय बन गई. उस दिन से सभी माताएं अपनी संतान की सुरक्षा के लिए सकट चौथ का व्रत करने लगीं. सकट चौथ व्रत को संकष्टी चतुर्थी भी कहते हैं.