उत्तर प्रदेशखबर 50

आयुष्मान भारत : इसका नाम राशन कार्ड में नहीं तो उसका मोबाइल नंबर अलग

30 दिन और लाभार्थी महज 40, यह आंकड़ा है सरकार की महत्वाकांक्षी योजना आयुष्मान भारत का। एक माह के आंकड़ों पर गौर करें तो पहले ही चरण में यह योजना स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के लापरवाही की भेंट चढ़ गई। आलम यह है कि लाभार्थी को खुद पता नहीं है कि वह इस योजना का लाभार्थी है या नहीं।  

  एक माह पूर्व 23 सितंबर को प्रधानमंत्री ने देश भर में आयुष्मान भारत योजना का शुभारंभ किया। इसमें जिले में दो लाख 73 हजार 574 लाभार्थी परिवार शामिल किए गए। अब यह लाभार्थी कौन हैं यह न तो स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारी को पता है और न ही लाभार्थी को। इसमें लाभार्थी परिवार का पांच लाख रुपये तक फ्री इलाज कराने की सुविधा है। जिले में कुल 107 अस्पताल भी इस योजना में शामिल हैं जिसमें 15 सरकारी अस्पताल भी है। यहां लाभार्थियों का गोल्डेन कार्ड भी नहीं बन पा रहा है, किसी का नाम राशन कार्ड में नहीं मिल रहा है तो किसी का मोबाइल नंबर नहीं मैच कर रहा।

शोपीस बना कंट्रोल रूम :

सीएमओ ऑफिस में आयुष्मान भारत योजना का कंट्रोल रूम बनाया गया है लेकिन यह भी महज शोपीस है। यहां जानकारी लेने के लिए आने वाले लोगों को यह कहकर लौटा दिया जाता है कि वह अपने आशा कार्यकर्ता से संपर्क करें। ऐसे में सवाल उठता है कि इतनी बड़ी योजना क्या आशा कार्यकर्ता के भरोसे ही चल रही है। मंगलवार को हंडिया के मूलचंद मिश्र यहां यह पता करने आए थे कि वह लाभार्थी हैं या नहीं। उन्हें यह कहकर लौटा दिया गया कि वह अपने आशा कार्यकर्ता से संपर्क करें।

अब तक 40 मरीज का इलाज हुआ है, यह संख्या तो बहुत कम है। आशा कार्यकर्ता के जरिए लाभार्थियों को सूचित कराया जा रहा है। जागरूकता के लिए शहर में होर्डिंग और बैनर लगाए गए हैं।

Related Articles

Back to top button