टिकट वितरण में महिलाओं के साथ ही जातीय संतुलन साध रही कांग्रेस छिटके वोट बैंक को अपने पाले में लाने का कर रही प्रयास
विधानसभा चुनाव के टिकट वितरण में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी अपने 40 प्रतिशत महिलाओं की भागीदारी के वादे साथ ही जातीय संतुलन भी बरकरार रखने का प्रयास कर रही हैं। कांग्रेस अब तक तीन सूची में कुल 255 उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर चुकी है। 13 जनवरी को जारी पहली सूची में 125, 20 जनवरी को 41 और 26 जनवरी को जारी तीसरी सूची में कांग्रेस 89 उम्मीदवारों की घोषणा पार्टी कर चुकी है। टिकट वितरण के सहारे कांग्रेस अपने परम्परागत वोट बैंक को पनुन: अपने पाले में लाने का प्रयास कर रही है।
कांग्रेस ने अब तक जारी अपने उम्मीदवारों की सूची में कुल 151 पुरुषों के साथ ही 104 महिलाओं को टिकट दिया है। कांग्रेस उम्मीदवारों में सामान्य वर्ग के कुल 96, मुस्लिम वर्ग के 50, अन्य पिछड़ा वर्ग के 70, अनुसूचित जाति के 57 उम्मीवारों के साथ ही 1 अनुसूचित जनजाति और एक सिख उम्मीदवार को चुनाव मैदान में उतारा है। प्रदेश में कांग्रेस की राजनैतिक हालत को समझते हुए पार्टी नेता लगातार पार्टी छोड़ दूसरे दलों में शामिल हो रहे हैं। अब तक घोषित उम्मीदवारों में से बरेली कैण्ट से सुप्रिया ऐरन और कुशीनगर की पडरौना से कांग्रेस उम्मीदवार मनीष जायसवाल पार्टी छोड़ कर भाजपा में शामिल हो गये हैं। चमरव्वा से पार्टी उम्मीदवार यूसुफ अली यूसुफ टिकट मिलने के अगले ही दिन समाजवादी पार्टी चले गये, लेकिन एक दिन बाद ही सपा मुखिया अखिलेश यादव पर धोखा देने का आरोप लगाते हुए लौट आए।
पिछले विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन कर दयनीय स्थिति में पहुंचने के बाद कांग्रेस ने इस बार गठबंधन के बजाए अपने दम पर चुनाव मैदान में उतरने का फैसला किया। प्रदेश में कांग्रेस की जड़ें पूरी तरह खोखली हो चुकी हैं और इस बात का अंदाजा कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी को भी है। बावजूद इसके बिना किसी दल के सहारे अकेले दम पर चुनाव लडऩे का फैसला जहां पार्टी कार्यकर्ताओं में विश्वास जगाना है, वहीं पार्टी को उसकी खोई पहचान वापस दिलाना है। मण्डल-कमण्डल की एंट्री के बाद कांग्रेस से छिटके वोट बैंक को वापस अपने पाले में लाने के लिए कांग्रेस ने सिर्फ हर सीट पर उम्मीदवार उतार रही है, बल्कि टिकट वितरण के जरिए जातीय संतुलन साध अपने परम्परागत वोट बैंक को भी पाने का प्रयास कर रही है।