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एकेटीयू को तत्कालीन कुलपति विनय पाठक के कार्यकाल में की गई विनिमितिकरण में धांधली और भ्रष्टाचार पर एक बार फिर सवालिया निशान लग गया है

एकेटीयू को तत्कालीन कुलपति विनय पाठक के कार्यकाल में की गई विनिमितिकरण में धांधली और भ्रष्टाचार पर एक बार फिर सवालिया निशान लग गया है I एकेटीयू के विनियमित कर्मी वाशुदेव यादव के द्वारा है विनियमितिकरण पर सवालिया निशान लगा दिया है साक्ष्य के रूप में तत्कालीन कुलपति विनय पाठक एंव तत्कालीन कुलपति दुर्ग सिंह चौहान का पत्र संलग्न किया जिसके आधार पर विनियमितिकरण किया गया है जिसमें 2001 के शासनादेश कि अनदेखी कर चतुर्थ श्रेणी को तृतीय श्रेणी में प्रोन्नत कर और उसे चतुर्थ श्रेणी में ही रखा गया वर्ष 2016 में शासनादेश संख्या- 9 / 2016 / वे0आ0-2-201 /दस- 2016-8 (मु०स०स०) /2011 टी०सी० दिनांक 24 फरवरी 2016 के द्वारा  सभी कर्मियों को विनियमि किया गया था, जिसमें यह उल्लिखित था कि जो कार्मिक 31 दिसम्बर 2001 तक नियुक्त किये जा चुके ऐसे कर्मिक, जो वर्तमान में उसी स्वरूप में कार्यरत है तथा नियुक्ति के समय पद भर्ती हेतु निर्धारित न्यूनतम अर्हता की पूर्ति करते थे, उन्हें उसी पद पर विनियमित किया जाये। उसी के अन्तर्गत एकेटीयू में  72 कर्मियों को विनियमित किया गया था, जिसमें दिसम्बर 2001 में  कार्यरत तीन चतुर्थ श्रेणी कर्मियों (विनय श्रीवास्तव,विपिन तिवारी, अनुसुईया शुक्ला विपिन तिवारी प्रमाण संलग्न ) को तृतीय श्रेणी में प्रोन्नत करते हुए विनियमित कर दिया गया, है। जिस हिसाब से पत्र में विवरण किया गया है उस में विनियमितिकरण करने में शासनादेश की अनदेखी की गयी है अब देखने वाली बात यह है कि शासन प्रशासन इस पर क्या जांच करेगा,  क्योंकि जिस प्रकार से पत्र में लिखा गया है ये इस बात के संकेत है कि शासनादेश को दरकिनार कर कर्मियों को उच्च पद पर विनिमित करा दिया गया है जो की घोर अनिमितताओं की और इशारा हैं I एकेटीयू में विनियमितिकरण पर एक बार फिर सवालिया निशान, जहां प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ज़ीरो टॉलरेंस नीति की खुले आम धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं योगी आदित्यनाथ ने भ्रष्टाचार पर कड़ी कार्यवाही करते हुए   तरफ राज्य भंडार निगम में विनियमितिकरण में अनिमियमिताओं के लेकर माननीय मुख्य मंत्री जी ने कुछ समय पूर्व विनियमितिकरण की प्रक्रिया में  शामिल रहे छह अन्य अधिकारियों को निलंबित करते हुए अनुशासनात्मक कार्रवाई का आदेश दिया। वही दूसरी ओर एकेटीयू में विनियमितिकरण में अनिमियमिताओं का रोज एक न एक पत्र शासन और राजभवन को प्राप्त हो रहे है अब की सबसे अहम बात यह कि इससे पहले विश्वविद्यालय के ही विनिमित कर्मी धीरज के एक पत्र पर   राजभवन ने दिनांक 4 नवम्बर 2020 विश्वविद्यालय के कुलपति विनय पाठक से जवाब मांगा था,इससे  पूर्व सीतापुर के महोली भाजपा विद्यायक शशांक त्रिवेदी द्वारा 16 जून  2018 को राज्यपाल महोदय को पत्र लिखकर विनिमितकरण मे अनिमितताओं को उजागर किया था इसी के साथ और दूसरे भाजपा विद्यायक  रिटायर्ड मेजर सुनील दत्त द्विवेदी ने भी तमाम अनिमितताओं के बारे में सरकार को पत्र लिखा था l अभी यह प्रकरण राष्ट्रीय अनुसूचित जाति नई दिल्ली एवं लोकायुक्त में भी इसकी जांच आज भी लंबित है l विनय पाठक के दबाव और रसूख के चलते आनन फानन में शासन ने खत्म कर दिया जबकि अनुसूचित जाति आयोग में यह जांच अभी भी लंबित है यह मामला अब तूल पकड़ता दिखाई दे, गौरतलब यह भी है की विश्वविद्यालय द्वारा और उन्नत की प्रक्रिया भी चल रही है जो खटाई में पड़ सकती है क्योंकि जब भी नियमितीकरण पर भी सवाल उठ गया है तो पूर्णत की प्रक्रिया पर विराम लगना संभव है  एकेटीयू के नए कुलपति के द्वारा कार्यभार संभालते ही पूर्व कुलपति विनय पाठक के द्वारा भ्रष्टाचार एवं धांधलीयों की लगातार शिकायतें मिल रही हैं जो नए कुलपति के लिए के लिए बहुत बड़ी चुनौती है I

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