मुख्यमंत्री ने गुरु गोरक्षनाथ आयुर्विज्ञान संस्थान (आयुर्वेद संकाय), गोरखपुर के ‘दीक्षा पाठ्यचर्चा’ कार्यक्रम को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सम्बोधित किया
लखनऊ । उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति से जुड़े विद्यार्थियों को अपने आपको गौरवान्वित महसूस करना चाहिए कि वह सभी भारत की परम्परागत चिकित्सा पद्धति को आगे बढ़ाने का कार्य करंेगे। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद संकाय के विद्यार्थियों को अपनी कार्य पद्धति को समय और समाज के अनुकूल बनाना होगा। परम्परागत चिकित्सा पद्धति में नए रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए निरन्तर प्रयास होने चाहिए। मुख्यमंत्री जी आज यहां अपने सरकारी आवास पर गुरु गोरक्षनाथ आयुर्विज्ञान संस्थान (आयुर्वेद संकाय), गोरखपुर के ‘दीक्षा पाठ्यचर्चा’ कार्यक्रम को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सम्बोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री जी ने कहा कि महायोगी गुरु गोरखनाथ की धरती पर स्थापित आयुर्वेद का यह पहला कॉलेज भारत की परम्परागत चिकित्सा पद्धति को नई ऊंचाई पर ले जाने के लक्ष्य के साथ बढ़ रहा है। उन्होंने संस्था के बी0ए0एम0एस0 प्रथम के व्यावसायिक सत्र के शुभारम्भ के अवसर पर उपस्थित सभी छात्र-छात्राओं को बधाई देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की दूरदर्शी सोच ने आयुष को एक नये मुकाम पर पहुंचाया है। देश और दुनिया में कोरोना संकट के समय आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को सकारात्मक रूप में स्वीकार्य एवं अंगीकार किया गया। उन्होंने कहा कि वर्तमान में प्रदेश में 94 आयुष महाविद्यालय क्रियाशील हैं, जिसमें 67 आयुर्वेद चिकित्सा महाविद्यालय, 12 होम्योपैथिक चिकित्सा महाविद्यालय तथा 15 यूनानी चिकित्सा महाविद्यालय शामिल हैं। आने वाले समय में इन सभी चिकित्सा महाविद्यालयों को महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय, गोरखपुर के साथ जोड़कर उत्तर प्रदेश को भारत की परम्परागत चिकित्सा पद्धति के एक नये हब के रूप में विकसित किया जाएगा। यह आयुष विश्वविद्यालय आयुर्वेद के क्षेत्र में अनेक सम्भावनाओं को आगे बढ़ाने का एक माध्यम बनने जा रहा है। मुख्यमंत्री जी ने कहा कि ‘शरीरमाद्यं खलु धर्म साधन्’ अर्थात स्वास्थ्य के सभी रास्ते एक ही लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आगे बढ़ते हैं, भारत की परम्परा में हमेशा से यह स्वीकार्य रहा है। महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय, गोरखपुर का बोध वाक्य ‘स्वास्ति पंथा मनु चरेम’ भी इसी भाव को प्रस्तुत करता है। सबका उद्देश्य आरोग्यता प्रदान करना है। उन्होंने कहा कि समग्र विकास के लक्ष्य को व्यक्ति, समाज और राष्ट्र तब तक प्राप्त नहीं कर सकते, जब तक वह स्वयं आत्मविश्वास से भरपूर न हों। मुख्यमंत्री जी ने कहा कि समाज की आयुर्वेद के प्रति हीन भावना ने ही आयुर्वेद की प्रगति के मार्ग को बाधित किया था, जिसका दुष्परिणाम समाज की वर्तमान एवं भावी पीढ़ी को भुगतना पड़ा। देश के जिन राज्यों, क्षेत्रों एवं लोगांे ने आयुर्वेद से जुड़कर आगे बढ़ने का प्रयास किया है, वह सभी आज खुशहाल हैं। आयुर्वेद ने लोगों को आरोग्यता प्रदान करने के साथ ही, रोजगार प्रदान करने में भी अपनी बड़ी भूमिका निभायी है। देश में मेडिकल टूरिज्म आयुर्वेद सेवा से ही प्रारम्भ हुआ। पंचकर्म एवं अन्य आयुर्वेदिक पद्धतियों ने मेडिकल टूरिज्म को बढ़ाने में अपनी उपयोगिता सिद्ध की है। आयुर्वेद की महत्ता आयुर्वेद के प्रति सच्ची सेवा को प्रदर्शित करता है। मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आधुनिक हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर रखने वाले दुनिया के विभिन्न देशों की हालत कोरोना कालखण्ड मंे ठीक नहीं थी। इन देशों का हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर कोरोना महामारी के समक्ष पस्त होता दिखायी दिया। वहीं आबादी की दृष्टि से दूसरे स्थान रखने वाले हमारे देश ने अपनी परम्परागत चिकित्सा पद्धतियों एवं नेतृत्व के उचित निर्णयों से अपने लोगों के जीवन को बचाने में काफी हद तक सफलता प्राप्त की है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में उत्तर प्रदेश कोरोना को नियंत्रित करने में पूर्णतः सफल रहा है। प्रदेश के कोरोना प्रबन्धन एवं नियंत्रण मॉडलों की पूरे विश्व मंे प्रशंसा हुई है। भारत ने विश्व में एवं उत्तर प्रदेश ने देश में कोरोना प्रबन्धन का एक बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत किया है। मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उत्तर प्रदेश प्रकृति और परमात्मा का प्रदेश है, जहां पर असीम सम्भावनाएं हैं। जितनी ऊर्वरा भूमि प्रदेश में है, उतनी ऊर्वरा भूमि दुनिया में कहीं नहीं है। जल संसाधन की दृष्टि से भी उत्तर प्रदेश धनी है। यहां के किसानों को हर्बल खेती के प्रति आकर्षित करते हुए उसकी मार्केट में वृद्धि कर आयुर्वेद के छात्रों के लिए नई सम्भावनाएं बन सकती हैं। मुख्यमंत्री जी ने कहा कि गोरखपुर महायोगी गोरखनाथ जी की पावन साधना स्थली है। योग की आधुनिकतम व्यवस्था का श्रीगणेश महायोगी गोरखनाथ जी द्वारा ही हुआ है। इस परम्परा में योग की विभिन्न विधाओं को आगे बढ़ाया गया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा से पूरे विश्व में 21 जून की तिथि ‘विश्व योग दिवस’ के रूप में मनायी जाती है। मुख्यमंत्री जी ने प्रथम व्यावसायिक सत्र के छात्र-छात्राओं से कहा कि जीवन में कोई व्यक्ति तभी आगे बढ़ सकता है, जब वह स्वयं अनुशासित हो। यह अनुशासन स्वयं से प्रारम्भ करना होगा। छात्रों को अपने पाठ्यक्रम से जुड़कर स्वयं अपनी संस्था के प्रति अनुशासित होकर कार्य करना होगा, जो उनकी प्रगति का साधक बनेगा। इसके लिए स्वयं को भी ढलना पड़ेगा। मुख्यमंत्री जी ने कहा कि संयम एवं अनुशासन जीवन को निखारने के प्रमुख पहलू हैं। उन्होंने आयुर्वेद कॉलेज से आग्रह किया कि इन छात्रों की समस्याओें को ध्यान में रखकर उनको गाइड करना होगा, जिससे यह छात्र आयुर्वेद के एक बेहतरीन चिकित्सक बन सकें और अपने कॅरियर को आगे बढ़ाते हुए आयुर्वेद की सेवा के माध्यम से भारत की परम्परागत चिकित्सा पद्धति को एक नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में योगदान दे सकें। ‘दीक्षा पाठ्य चर्चा’ कार्यक्रम में बोर्ड ऑफ आयुर्वेद के अध्यक्ष प्रो0 बी0एस0 प्रसाद ने वर्चुअल माध्यम से अपने विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव सूचना श्री नवनीत सहगल, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री एवं सूचना श्री संजय प्रसाद, सूचना निदेशक श्री शिशिर सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।