मी टू मामले में जिलाधिकारी से मिले शिक्षक विधायक, सौंपा ज्ञापन
इंडियन गर्ल्स इंटर कॉलेज में प्रबंधक सहदेव मुखर्जी द्वारा शिक्षिकाओं का कथित यौन उत्पीडऩ किए जाने के मामले में मंगलवार को शिक्षक विधायक सुरेश त्रिपाठी व स्नातक विधायक डॉ. यज्ञदत्त शर्मा के नेतृत्व में शिक्षकों का एक प्रतिनिधिमंडल जिलाधिकारी व एसएसपी से मिलकर ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन में शिक्षिकाओं का यौन उत्पीडऩ करने के आरोपी प्रबंधक को तत्काल प्रभाव से गिरफ्तार करने की मांग की गई। कहा गया कि स्कूल प्रबंधन शिक्षिकाओं को दो साल से प्रताडि़त कर रहा है। उन्हें पैर छूने को मजबूर किया जाता है। एक शिक्षिका पर अवैध संबंध बनाने का भी दबाव बनाया गया। रिपोर्ट दर्ज होने के बाद भी शिक्षिकाओं को धमकाया जा रहा है। समझौता करने का दबाव बनाया जा रहा है। छात्राओं पर भी दबाव बनाया जा रहा है और यह कहने पर मजबूर किया जा रहा है कि प्रबंधक विद्यालय आते ही नहीं हैं, जबकि वे विद्यालय में ही हमेशा बैठे रहते हैं।
जिलाधिकारी ने विधायकों को आश्वासन दिया कि पीडि़त शिक्षिकाओं के साथ न्याय होगा। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नितिन तिवारी ने बताया कि विद्यालय के प्रत्येक सार्वजनिक स्थानों पर सीसीटीवी लगाने के निर्देश दिए गए हैं। आरोपितों द्वारा शिक्षिकाओं को भयभीत न किया जा सके और उनकी सुरक्षा रहे इसको लेकर पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं। डीएम और एसएसपी से मिलने वाले प्रतिनिधिमंडल में महेश दत्त शर्मा, प्रदेश मंत्री कुंज बिहारी मिश्रा, जिलाध्यक्ष राम प्रकाश पांडेय, जिला मंत्री अनुज कुमार पांडेय, डॉ. जय प्रकाश शर्मा, शिवशंकर यादव, रवींद्र त्रिपाठी, जगदीश प्रसाद, सविता मिश्रा, प्रतिमा सिह, इंद्रदेव पांडेय, एकता, निर्मला आदि शामिल रहे।
शिक्षिकाओं ने कार्रवाई से खफा होकर आरोप लगाए :
इंडियन गल्र्स इंटरमीडिएट कॉलेज के प्रबंधक सहदेव मुखर्जी व प्रधानाचार्य नीलम भूषण ने विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि छात्राओं के विभिन्न विषयों में खराब प्रदर्शन के कारण संबंधित शिक्षिकाओं को नोटिस जारी किया गया था। विद्यालय विलंब से आने के बाद जिला विद्यालय निरीक्षक से वेतन काटने का आग्रह किया गया था। जिला विद्यालय निरीक्षक को साक्ष्य के तौर पर बॉयोमीट्रिक मशीन की अटेंडेंस शीट भी प्रदान की गई थी। प्रबंध समिति की ओर से शिक्षिकाओं के दो पदों को समाप्त करने को लेकर भी याचिका दायर की गई थी। शिक्षिकाएं प्रबंधक व प्रिंसिपल से इसी मामले को लेकर नाराज थीं। इसके पीछे मंशा थी कि विद्यालय में पठन-पाठन का माहौल बेहतर हो और अनुशासन बना रहे। आगे भी अनुशासनहीन शिक्षिकाओं के खिलाफ कार्रवाई होती रहेगी।