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MeToo: गूगल की दरियादिली से भड़के कर्मचारी,

ग्लैमर की दुनिया से शुरू हुए मी टू अभियान की तपिश दुनिया के सबसे बड़े इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनी गूगल तक पहुंच गई है। महिलाओं के साथ बर्ताव और यौन उत्पीड़न के आरोपित कंपनी के शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई में उदार रवैया अपनाए जाने के विरोध में गुरुवार को भारत समेत दुनिया भर में गूगल के कर्मचारियों ने काम का बहिष्कार किया।

‘गूगल वॉकआउट’ के नाम से चलाए गए इस अभियान में भारत में गूगल के गुरुग्राम, हैदराबाद और मुंबई कार्यालयों के तकरीबन 150 कर्मचारियों ने वॉकआउट किया। भारत में गूगल के इन तीन जगहों के अलावा बेंगलुर में भी दफ्तर है और इन चारों दफ्तर में लगभग दो हजार कर्मचारी काम करते हैं। सिंगापुर में भी गूगल के दोनों दफ्तरों से कर्मचारियों ने वॉकआउट किया। दफ्तरों से वॉकआउट का यह सिलसिला जापान की राजधानी टोक्यो से सुबह के 11 बजे से शुरूहुआ। इसके बाद दुनिया भर में गूगल के दफ्तरों से स्थानीय समय के मुताबिक, सुबह 11 बजे कर्मचारियों ने वॉकआउट किया।

भारतीय मूल के गूगल के प्रमुख अधिकारी सुंदर पिचाई ने भी कर्मचारियों के विरोध के अधिकार का समर्थन किया। उन्होंने यह भी बताया कि यौन उत्पीड़न के आरोपी 48 कर्मचारियों को बिना कोई आर्थिक पैकेज दिए हटा दिया गया है। योरप के कई देशों में भी गूगल के कर्मचारियों ने विरोध किया। लंदन में जहां कार्य बहिष्कार करने वाले कर्मचारियों की संख्या कम थी, तो स्विटजरलैंड के ज्यूरिख शहर में सबसे ज्यादा कर्मचारियों ने वॉकआउट किया। अमेरिका में भी बड़ी संख्या में गूगल के कर्मचारी विरोध में दफ्तरों से बाहर निकले।

दरअसल, यह पूरा हंगामा न्यूयॉर्क टाइम्स की एक खबर के बाद खड़ा हुआ। खबर के मुताबिक, कंपनी में वर्षो से यौन उत्पीड़न के मामले होते रहे हैं और कंपनी आरोपितों पर कठोर कार्रवाई के बजाय उन्हें मोटी रकम देकर कंपनी से अलग कर देती है। कार्य बहिष्कार करने वाले कर्मचारियों ने यौन उत्पीड़न के मामलों से निपटने के लिए कई बदलाव की मांग की है। जिसमें जबरन मध्यस्थता की व्यवस्था भी शामिल है। इसके तहत यौन उत्पीड़न के आरोपों को कंपनी के भीतर ही सुलझाया जा सकता है, बाहर अदालतों या किसी अन्य तरीके से नहीं। हालांकि, अखबार की खबर के बाद कंपनी ने कर्मचारियों को भेजे गए ई–मेल में कहा था कि वह कार्यस्थल पर महिलाओं के लिए सुरक्षित माहौल बनाने के प्रति गंभीर है।

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