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कमल पर विराजमान और हाथ में वीणा लिए हैं मां सरस्वती

आज यानी 14 फरवरी को बसंत पंचमी का पर्व मनाया जा रहा है। माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर सृष्टि के रचियता ब्रह्मा जी के मुख से मां सरस्वती प्रकट हुई थीं। इसलिए पंचमी तिथि पर बसंत पंचमी मनाई जाती है। इस दिन ज्ञान की देवी मां सरस्वती की विधिपूर्वक पूजा और व्रत किया जाता है। मां सरस्वती कमल और हंस पर विराजमान हैं। एक हाथ में पुस्तक, दूसरे हाथ में वीणा तीसरे हाथ में माला और आशीर्वाद मुद्रा में हैं। मां सरस्वती के ये स्वरूप हमें अलग-अलग सीख देते हैं। बसंत पंचमी के अवसर पर इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि मां सरस्वती का स्वरूप का क्या प्रेरणा देता है?

कमल पर विराजमान मां सरस्वती

मां सरस्वती कमल पर विराजमान हैं। कमल का फूल कीचड़ में खिलता है। इससे लोगों को यह प्रेरणा मिलती है कि चाहे आसपास का वातावरण कैसा भी हो, लेकिन उसका असर हमारे जीवन पर नहीं आना चाहिए।

हाथ में पुस्तक

मां सरस्वती के हाथ में पुस्तक होने की वजह से उन्हें ज्ञान की देवी कहा गया है। मां सरस्वती की ये पुस्तक शिक्षा के लिए प्रेरित करती है।

हाथ में वीणा

मां सरस्वती वीणा को लेकर सृष्टि पर प्रकट हुई थीं। मान्यता के अनुसार, मां सरस्वती ने जब वीणा बजाई तो सारा संसार आनंद से खिल उठा था और पूरे वातावरण में उत्सव जैसा माहौल हो गया था। इसी तरह से लोगों को उत्साह से भरपूर रहना चाहिए। वीणा का अर्थ यह है कि सदैव खुश रहना और दूसरे लोगों में खुशियां बांटना।

हाथ में माला

मां सरस्वती के हाथ में अक्ष माला है। इस माला को भगवान ब्रह्माजी भी धारण करते हैं। माला का अर्थ यह है कि जीवन में सदैव धर्म के रास्ते पर चलना चाहिए।

मां सरस्वती का वाहन हंस

कला और ज्ञान की देवी मां सरस्वती का वाहन हंस है। हंस से जागरूक होने की प्रेरणा मिलती है। मन से बुरी सोच को खत्म कर अच्छाई को ग्रहण करना चाहिए।

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