जयपुर में बनेगा खूबसूरत म्यूजियम
देश विदेश की धातु से निर्मित मूूर्ति कला को संग्रहित कर राजस्थान की राजधानी जयपुर में एक स्थान पर इसे जनता को प्रदर्शित करने के लिए इसका म्यूजियम स्थापित किया जायेगा। इस म्यूजियम में मेटल से बनी मूर्तियों की आटर् गैलरी स्थापित की जाएगी। इसके लिए जयपुर में स्थित शिल्पांजलि आर्ट फाउंडेशन ने अपने प्रयास शुरु कर दिए हैं और आने वाले दिनों में जयपुर में म्युजियम स्थापित करने के लिए विचार विमर्श एवं जगह तलाशना शुरु कर दिया गया है।
इस म्यूजियम में देश विदेश में स्थापित विरास्त के साथ विश्व एवं हैरिटेज एवं गुलाबी नगर के रुप में प्रसिद्ध जयपुर में स्थापित विरासत को मूर्ति कला के माध्यम से जनता के बीच प्रदर्शित किया जायेगा ताकि इसके माध्यम से जहां लोग कला को समझेंगे वहीं जयपुर की विरासत की जानकारी भी लोगों तक पहुंचेगी।
प्रसिद्ध कलाकार एवं फाउंडेशन के राजकुमार पंडित ने सोमवार को यहां मीडिया को बताया कि आटर् गैलरी के लिए वीकेआई स्थित वर्क्स फॉर आटिर्स्ट फाउंडरी में मेटल के स्कल्पचर का निर्माण किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि विश्व प्रसिद्ध आटिर्स्ट अपनी बेस्ट कलाकृति का मॉडल तैयार कर रहे हैं, जिन्हें बाद में फाउंडेशन अपने खर्चे पर तैयार करेगी। इसके लिए सात दिवसीय इंटरनेशल सिम्पोजियम का आयोजन किया गया हैं, जिसमें पदमश्री राजेंद्र टिकु की देख-रेख में देश-विदेश के आटिर्स्ट स्कल्पचर तैयार कर रहे हैं।
टिकु ने बताया कि मेटल से बनी मूर्ति कला को आम जन तक पहुंचाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं और इसके लिए जयपुर में म्यूजियम स्थापित करने का निर्णय लिया गया ताकि इसके माध्यम से इस कला को लोगों तक पहुंचाया जा सके वहीं इसके कलाकारों को प्रोत्साहित किया जा सके। उन्होंने श्री पंडित का धन्यवाद करते हुए कहा कि यहां फाउंडरी में देश ही नहीं विदेश के मूर्ति कलाकारों को एक जगह प्रदान कराई गई ताकि वे अपना हुनर दिखा सके। उन्होंने कहा कि आज विदेशों में धातु की मूर्ति बनाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती हैं और इसके लिए सुविधा के अभाव के कारण इसके कलाकार अपनी कला का पदर्शन नहीं कर पाते।
ऐसे में श्री पंडित ने देश ही नहीं विदेश तक के कलाकारों को एक मंच प्रदान किया ताकि वे अपनी कला को लोगों तक पहुंचा सके। उन्होंने बताया कि जयपुर में म्यूजियम बनाने के लिए इस कार्यशाला के अलावा भी कार्यक्रम चलाये जायेंगे और म्यूजियम स्थापित करने के लिए योजना पर विचार किया जा रहा है ताकि इसे मूर्तरुप दिया जा सके। सिम्पोजियम के संयोजक श्री पंडित ने बताया कि इसमें पहली बार कोरिया के आटिर्स्ट तालूर एलएन शामिल हुए हैं। इसके अलावा कर्नाटक से संथामनी मुथई, केरला से जीजी सकारिया एवं सुमेध राजेंद्रन्, महाराष्ट्र से सुनील गावडे भी कलाकृतियों के डैमो तैयार कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि लगातार दूसरे वर्ष यहां सिम्पोजियम का आयोजन किया गया है।
इनमें तैयार डैमो के मेटल में स्कल्पचर तैयार करके आटर् गैलरी में स्थापित किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि इस कला को बढ़ावा देने एवं धातु से निर्मित मूर्ति कला के बारे में आमजन को अवगत कराने के लिए म्यूजियम स्थापित करने का निर्णय लिया गया और इस पर काम शुरु कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि वैश्विक महामारी कोरोना में भी वह हतोत्साहित नहीं हुए और इस दौरान उन्होंने अपने कारीगरों एवं कर्मचारियों का पूरा ध्यान रखा और उन्हें हतोत्साहित नहीं होने दिया।