लखनऊ : निवेश में यूपी ने पकड़ी रफ्तार, पर चुनौतियां भी बरकरार
यूपी में दुनिया के 25 से ज्यादा देशों के उद्योगपतियों ने निवेश किया है जो प्रदेश की बदली छवि और अनुकूल माहौल का नतीजा है। निवेश बढ़ने से प्रदेश की तस्वीर बदल रही है, लेकिन अभी भी चुनौतियां कम नहीं हैं। स्किल डेवलेपमेंट और बड़े उद्योगों पर आधारित एमएसएमई उद्यमों को बढ़ावा देने की दरकार है।
गुजरात और महाराष्ट्र जैसे विकसित राज्यों के बड़े निवेशकों ने भी यूपी में भारी मात्रा में निवेश किया है। एक तरफ सात वर्ष में आया ये बदलाव दिख रहा है वहीं कुछ चुनौतियां भी सामने हैं, जिनसे निपटना जरूरी होगा। निवेशक पैसा वहीं लगाते हैं, जहां सुरक्षा व मुनाफे की गारंटी हो। यूपी में संसाधन पहले भी थे लेकिन उनकी क्षमताओं को पहचान कर अवसरों में तब्दील करने की सराहना अब ग्लोबल प्लेटफार्म पर हो रही है। बाजार विशेषज्ञ राजीव सिंह के मुताबिक निवेशक निवेश से पहले चार चीजें देखते हैं। दूरदर्शी नेतृत्व, संसाधन, अच्छा बुनियादी ढांचा और व्यापार करने में आसानी। ये सारी चीजें हमारे यहां मिलीं तो उत्तर प्रदेश कारोबारियों की प्राथमिकताओं में शुमार हो गया है।
इंटरनेशनल ट्रेड एक्सपो में छाया ब्रांड यूपी
जापान, इस्राइल, चीन, अमेरिका, फ्रांस, सिंगापुर, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, रूस व यूएई में होने वाले इंटरनेशनल ट्रैवल व ट्रेड एक्सपो में ‘ब्रांड यूपी’ आक्रामक रूप से छाया। अब 28 देशों के 50 शहरों में वृहद अभियान चलाने की तैयारी है। इस दिशा में उत्तर प्रदेश को ब्रांड यूपी तथा मोस्ट फेवरिट टूरिस्ट डेस्टिनेशन के तौर पर देश-दुनिया में प्रोजेक्ट करने के लिए जो मास्टर प्लान तैयार किया गया है, उसमें इंटरनेशनल ट्रेड शो, ट्रैवल फेयर्स व एक्सपो की प्रमुख भूमिका है। अब ब्रिटेन के लंदन, मैनचेस्टर, बर्मिंघम व ग्लासगो, स्पेन के मैड्रिड, बिलबाओ, बार्सिलोना, इटली के रोम, मिलान व जर्मनी के बर्लिन, म्यूनिख, फ्रैंकफर्ट में इंटरनेशनल रोड शो का आयोजन किया जाएगा। इसी प्रकार पुर्तगाल के लिस्बन, नॉर्वे के ओस्लो, स्वीडन के स्टॉकहोम, फ्रांस के पेरिस, नीदरलैंड के हेग व फिनलैंड के हेलसिंकी में भी रोड शो होंगे। इसीलिए एफडीआई लिस्ट में उत्तर प्रदेश 11 वें स्थान पर आ गया है।
लेकिन ये मुश्किलें बन सकती हैं बाधा
- स्किल डेवलपमेंट पर खास फोकस करना होगा। बाहर से कंपनियां तो आएंगी, लेकिन कुशल कामगार यूपी में ही तैयार करने होंगे
- कंपोनेंट पर काम करना होगा। जैसे मोबाइल में 150 से ज्यादा कंपोनेंट लगते हैं। इन्हें बनाने के लिए एमएसएमई को तैयार करना होगा
- प्लग एंड प्ले सिस्टम विकसित करने की जरूरत है। छोटी इकाइयों के लिए केवल मशीन लाइए और उत्पादन शुरू कर दीजिए का कॉन्सेप्ट लाना होगा
- ज्यादा से ज्यादा मेगा इकाइयों को प्रदेश में लाने की जरूरत है, ताकि औद्योगीकरण की रफ्तार बढ़े
- बड़ी इकाइयों के परिसर में ही आवासीय सुविधा देने की मांग। इसके लिए उद्यमी सस्ती जमीन मांग रहे हैं
- प्रोडक्ट डेवलपमेंट के लिए डिजाइन कंपनी लाने के लिए ज्यादा इंसेंटिव देने की जरूरत
- गांव से पलायन रोकने के लिए इंफ्रा और रोजगार करीब में ही तैयार करने पर फोकस
यूपी ने बेहतरीन तरक्की की है। अमेरिका की सिलिकॉन वैली से लेकर काॅरपोरेट सेक्टर में तक में यहां की नीतियों की चर्चा है। कई निवेशक आ चुके हैं तो तमाम आने की राह में है। जिस रफ्तार से उद्योगों को लेकर सरकार का सकारात्मक रवैया है, अगले चार साल में यूपी की अर्थव्यवस्था दस खरब रुपये बनने के पूरी संभावना है।
- पद्मश्री निरुपम बाजपेयी, निदेशक कोलंबिया विवि यूएसए व सलाहकार पीएम नरेंद्र मोदी।
ये एक बहुत बड़ी उपलब्धि है कि उत्तर प्रदेश दुनिया में इलेक्ट्राॅनिक्स उत्पादों का सबसे बड़ा मैन्यूफैक्चरिंग सेंटर बनने जा रहा है। पहले भारत में बिकने वाले 90 फीसदी मोबाइल फोन आयात होते थे। आज 70 फीसदी मोबाइल फोन यूपी में बनते हैं। 12 अरब डाॅलर के निर्यात भी हो रहे हैं। 50 फीसदी टीवी, फ्रिज, वाशिंग मशीनें अब यूपी में बन रही हैं।
- सुनील वाच्छानी, चेयरमैन, डिक्सन टेक्नोलाजी।
आज का यूपी दूसरे राज्यों के लिए सबक है। कोई राज्य बीमारू और अपराध के साये से बाहर निकलकर कैसे अपना कायाकल्प कर सकता है, ये उनके लिए केस स्टडी है। एमओयू करने के बाद प्रोजेक्ट कैसे पीछे लगकर धरातल पर उतारा जाता है, ये मैंने पहली बार देखा।
- संदीप घोष, एमडी, बिड़ला कारपोरेशन।