बेगूसराय सीट पर गिरिराज सिंह और अवधेश राय के बीच कांटे की टक्कर
बिहार में लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) के चौथे चरण में 5 सीटों मुंगेर, बेगूसराय, समस्तीपुर (सु) ,दरभंगा और उजियारपुर पर वोटिंग हो रही है। वहीं, बेगूसराय लोकसभा सीट की बात करें तो इस सीट पर कुल 10 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं, लेकिन मुख्य मुकाबला भाजपा और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के बीच है।
21 लाख मतदाता करेंगे 10 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला
इस सीट से भाजपा के फायर ब्रांड नेता सह सिटिंग एमपी गिरिराज सिंह चुनावी मैदान में है। वही सीपीआई ने यहां से अवधेश राय को चुनावी अखाड़े में उतारा है। इसके अलावा निर्दलीय उम्मीदवार मो शहनवाज हसन, कर्पूरी जनता दल के राम बदन राय, राष्ट्रीय जन-संभावना पार्टी से रजनीश कुमार मुखिया, निर्दलीय उम्मीदवार अरुण कुमार, निर्दलीय उम्मीदवार इंद्रजीत कुमार राय, सोशलिस्ट यूनिट सेंटर ऑफ इंडिया (कम्युनिस्ट) के राम उद्गार, बसपा के चंदन कुमार दास एवं अखिल भारतीय परिवार पार्टी के उम्मीदवार राज कुमार साह मैदान में हैं। बेगूसराय लोकसभा में कुल 21,94,833 मतदाता हैं। इनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 11,54,336 है। महिला वोटरों की संख्या 10,40,438 है।
बेगूसराय के अंतर्गत आती हैं विधानसभा की 7 सीटें
गौरतलब है कि बेगूसराय लोकसभा के अंतर्गत विधानसभा की कुल 7 सीटें आती हैं जिनमें बेगूसराय जिले की छेरिया बरियारपुर, मटिहानी, बखरी, बछवाड़ा, साहेबपुर कमल, तेघरा और बेगूसराय विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। बता दें कि आजादी के बाद इस सीट पर पहली बार साल 1952 में चुनाव हुआ और 1952 से 1962 तक लगातार तीन बार कांग्रेस के टिकट पर मथुरा प्रसाद मिश्र सांसद चुने गए। 1967 में इस सीट पर CPI ने कब्जा जमाया और योगेंद्र शर्मा सांसद बने। 1971 में फिर से यह सीट कांग्रेस के खाते में गई और श्याम नंदन मिश्रा सांसद चुने गए। 1977 में भी सांसद श्याम नंदन मिश्रा ही बने लेकिन इस बार जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े थे। 1980 और 1984 में इस सीट पर कांग्रेस के कृष्णा शाही चुनाव जीतने में कामयाब रहे। 1989 में इस सीट पर जनता दल ने कब्जा जमाया और ललित विजय सिंह सांसद चुने गए।
2019 के लोकसभा चुनाव में गिरिराज सिंह ने हासिल की थी जीत
1991 में एक बार फिर से कांग्रेस के कृष्णा साही सांसद चुने गए जबकि 1996 में निर्दलीय रामेंद्र कुमार को जीत मिली। 1998 में कांग्रेस के राजो सिंह चुनाव जीते तो 1999 में यह सीट आरजेडी के खाते में गई और राजवंशी महतो सांसद बने। 2004 में यह सीट JDU के खाते में गई और राजीव रंजन सिंह सांसद चुने गए। 2009 में भी यह सीट JDU के खाते में ही गई लेकिन इस बार मोनाजिर हसन सांसद बने जबकि 2014 में यह सीट पहली बार बीजेपी के खाते में गई और भोला सिंह सांसद चुने गए। आपको बता दें कि भोला सिंह के निधन के बाद से यह सीट खाली हुई। इस सीट से बीजेपी के टिकट पर गिरिराज सिंह चुनाव लड़े थे। वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में भी यहां से गिरिराज सिंह ने चुनाव जीती थी।