क्या मास्टरस्ट्रोक साबित होगा ईरान के साथ चाबहार समझौता, जानिए
पाकिस्तान और चीन को करारा जवाब देने के लिए भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक ऐतिहासिक कदम उठाने जा रहा है। विश्वसनीय सूत्रों ने बताया है कि ईरान और भारत के बीच महत्वपूर्ण चाबहार बंदरगाह समझौते पर हस्ताक्षर होंगे। इसके लिए केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल सोमवार को ईरान के लिए रवाना हो गए है। बता दें कि इस समझौते के बाद भारत एक दशक के लिए चाबहार बंदरगाह का प्रबंधन संभालेगा।
यह पहली बार होगा कि भारत विदेश में किसी बंदरगाह का प्रबंधन अपने हाथ में लेगा। चुनावी मौसम के बीच आज भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ईरान के साथ एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर करेगा।
दरअसल, पाकिस्तान और चीन की टेंशन बढ़ाने के लिए भारत सोमवार को ईरान के साथ चाबहार पोर्ट के प्रबंधन से जुड़े समझौते पर मुहर लगाएगा। इसके लिए केंद्रीय बंदरगाह और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल सोमवार को ईरान के लिए रवाना हो गए है।
10 साल का समझौता, पाकिस्तान और चीन की बढ़ी टेंशन
जानकारी के लिए बता दें कि इस समझौते के बाद भारत अगले 10 सालों तक चाबहार बंदरगाह का प्रबंधन संभालेगा। यह रणनीतिक मास्टरस्ट्रोक कराची के साथ-साथ पाकिस्तान में ग्वादर बंदरगाहों को दरकिनार करते हुए, ईरान के माध्यम से दक्षिण एशिया और मध्य एशिया के बीच एक नया व्यापार मार्ग खोलेगा। कनेक्टविटी के मामले में अफगानिस्तान, मध्य एशिया और यूरेशियन क्षेत्रों के बीच चाबहार पोर्ट काफी अहम साबित होगा।
भारत के लिए बड़ी उपलब्धि
चाबहार पोर्ट ऑपरेशंस का अनुबंध इस क्षेत्र में भारत की बढ़ती समुद्री पहुंच की एक और बड़ी उपलब्धि होगी। शिपिंग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने ठीक एक साल पहले -मई 2023 में म्यांमार में सिटवे बंदरगाह का उद्घाटन किया था। बता दें कि दोनों का ही उद्देश्य क्षेत्र में बढ़ती चीनी उपस्थिति को बेअसर करना है।
क्या है भारत का प्लान?
भारत का लक्ष्य सीआईएस (स्वतंत्र राज्यों के राष्ट्रमंडल) देशों तक पहुंचने के लिए चाबहार बंदरगाह को अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC) के तहत एक ट्रांजिट हब बनाना है। INSTC भारत और मध्य एशिया के बीच माल की आवाजाही को किफायती बनाने का भारत का विजन है। चाबहार बंदरगाह इस क्षेत्र के लिए एक कमर्शियल ट्रांजिट सेंटर के रूप में काम करेगा।
जानकारी के लिए बता दें कि आईएनएसटीसी एक मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्टेशन रूट है जो हिंद महासागर और फारस की खाड़ी को ईरान के माध्यम से कैस्पियन सागर और रूस में सेंट पीटर्सबर्ग के माध्यम से उत्तरी यूरोप तक जोड़ता है।
इस जनवरी की शुरुआत में, विदेश मंत्री एस जयशंकर और ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी ने चाबहार बंदरगाह विकास योजना सहित ईरान-भारत समझौतों के कार्यान्वयन में तेजी लाने और अधिक क्षतिपूर्ति करने पर चर्चा की थी।