जम्मू कश्मीर

जम्मू-कश्मीरः पीडीपी में बगावत, सरकार बनाने में जुटा तीसरा मोर्चा

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के संस्थापक सदस्यों में से एक सांसद मुजफ्फर हुसैन बेग ने पार्टी में बगावत कर दी है। बेग ने मंगलवार को पार्टी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती को बड़ा झटका देते हुए कहा कि जिस तरह से संगठन में गतिविधियां चल रही हैं, उसमें वह खुद को असहज महसूस करते हैं। ऐसे में अगर राज्य में कोई तीसरा मोर्चा सामने आता है तो वह उसमें शामिल हो सकते हैं। बेग के इस बयान को बेहद अहम और पीडीपी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। इससे राज्य में पीपुल्स कांफ्रेंस के चेयरमैन सज्जाद गनी लोन के नेतृत्व में गठबंधन सरकार के जल्द सत्तासीन होने की अटकलें फिर तेज हो गई हैं।

श्रीनगर के करालसंगरी ब्रेन स्थित अपने निवास पर पूर्व उपमुख्यमंत्री मुजफ्फर हुसैन बेग ने कहा कि अगर यह मोर्चा लोन के नेतृत्व में बनता है तो उन्हें कोई परेशानी नहीं है, क्योंकि पीपुल्स कांफ्रेंस में जाना उनके लिए घर वापसी जैसा है। बेग ने कहा कि अभी उन्होंने पीडीपी छोड़ने का फैसला नहीं लिया है। मेरे लिए पीडीपी छोड़ना आसान नहीं है, क्योंकि इसका संविधान और राजनीतिक एजेंडा तैयार करने में मेरी अहम भूमिका रही है, लेकिन पीपुल्स कांफ्रेंस का संविधान भी मैंने ही लिखा था। सज्जाद गनी लोन के पिता दिवंगत अब्दुल गनी लोन मेरे बहुत अच्छे मित्र थे। सज्जाद गनी लोन मेरे बेटे जैसे हैं।

जवाब नहीं मिला तो बदल लूंगा संगठन 

बेग ने कहा कि करीब एक साल पहले पीडीपी के संविधान में संशोधन की समिति का गठन कर मुझे अध्यक्ष बनाया गया था। मैंने कुछ सवाल महबूबा को भेजे थे, लेकिन आज तक उनका जवाब नहीं आया। अब मैं अपने भविष्य का फैसला तभी लूंगा जब पार्टी मेरे आज के बयान पर जवाब देती हैं। अगर पीडीपी कोई नोटिस नहीं लेती तो मैं संगठन बदल सकता हूं।

और टूट सकते हैं छह से सात विधायक

माना जा रहा है कि अगर बेग पीडीपी छोड़ते हैं तो कम से कम छह से सात विधायक महबूबा मुफ्ती को अलविदा कह सकते हैं। यह विधायक पहले से बागी तेवर अपनाए बैठे छह विधायकों के अतिरिक्त होंगे।

बेग के गंभीर आरोप :

-पीडीडी में अब आंतरिक स्तर पर लोकतंत्र की जमीन सिकुड़ती जा रही है।

-पार्टी ने कई बुरे निर्णय लिए हैं। इनका खमियाजा पार्टी और कश्मीरी अवाम को भुगतना पड़ रहा है।

-कई नीतिगत फैसले बिना विचार विमर्श के ही लिए गए।

-पार्टी नेतृत्व ने निकाय व पंचायत चुनाव बहिष्कार का फैसला लेने से पूर्व मुझसे कोई विचार नहीं किया। अगर किया होता तो शायद पीडीपी चुनावों में भाग ले रही होती।

– अनुच्छेद 35ए और 370 पर फैसला अदालत को करना है। अगर 35ए का मामला अदालत में वर्षो लटका रहता है तो क्या पीडीपी और नेकां वर्षो तक चुनावों से दूर रहेंगी।

नया मोर्चा बना सकता है गठबंधन सरकार

चर्चा है कि पीपुल्स कांफ्रेंस के चेयरमैन सज्जाद गनी लोन के नेतृत्व में पीडीपी और नेकां के कुछ विधायकों के साथ मिलकर एक नया मोर्चा बन रहा है। यह मोर्चा राज्य में एक नई गठबंधन सरकार बना सकता है। भाजपा को भी इसका समर्थन रहेगा। बता दें कि जम्मू कश्मीर में 16 जून को भाजपा-पीडीपी सरकार भंग होने के बाद से राज्यपाल शासन लागू है।

दरअसल, राज्य में बदलते राजनीतिक घटनाक्रम के बीच भाजपा और पीपुल्स कांफ्रेंस को सरकार बनाने से रोकने की कवायद शुरू हो गई है। नेशनल कांफ्रेंस, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी और कांग्रेस ने खुद सरकार बनाने के लिए तालमेल बैठाना शुरू कर दिया है। नेकां संभावित गठबंधन सरकार में शामिल होने के बजाय बाहर से उसका समर्थन कर सकती है। 

भाजपा को रोकने के लिए हाथ मिला सकते हैं नेकां, पीडीपी और कांग्रेस

भाजपा के पास 25 और सज्जाद गनी लोन के पास दो विधायक हैं, जबकि सरकार बनाने के लिए 44 विधायक चाहिए। उन्हें सरकार बनाने के लिए पीडीपी के कुछ विधायकों का साथ चाहिए और पीडीपी में इस समय अंतर्कलह जोरों पर है। वहीं, नेशनल कांफ्रेंस में भी दो से तीन विधायक शीर्ष नेतृत्व से कथित तौर पर नाराज हैं। 

सूत्रों की मानें तो भाजपा को फिर से राज्य में सरकार बनाने से रोकने और अपने दल में विभाजन रोकने के लिए नेशनल कांफ्रेंस, कांग्रेस और पीडीपी ने आपस में मिलकर सरकार बनाने की दिशा में काम शुरू कर दिया है। अगर उनकी यह योजना सफल रहती है तो पीडीपी और कांग्रेस जो पहले भी 2002 से 2008 तक गठबंधन सरकार चला चुकी है, फिर से सरकार बनाएगी और नेकां सरकार को बाहर से समर्थन देगी। नेकां के पास 15, कांग्रेस के पास 12 और पीडीपी के पास 28 विधायक हैं। तीनों के विधायकों की संख्या 55 होती है, जो सरकार बनाने के लिए जरूरी 44 विधायकों से कहीं ज्यादा है।

इसलिए हाथ मिला सकते हैं नेकां-पीडीपी

राज्य की सियासत पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों की मानें तो जुनैद अजीम मट्टू को जिस तरह सज्जाद लोन ने नेशनल कांफ्रेंस से वापस पीपुल्स कांफ्रेंस में शामिल किया है, उससे नेकां सकते में है और आज जुनैद श्रीनगर के मेयर हैं। इसलिए अब नेकां और पीडीपी को लगता है कि भाजपा को रोकने और कश्मीर में अपनी सियासत को बनाए रखने के लिए उन्हें न चाहते हुए भी एक दूसरे से हाथ मिलाना चाहिए।

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