मानसर झील के प्राकृतिक सौंदर्य ने दी दिलों में दस्तक
जम्मू से करीब 48 किलोमीटर दूर मानसर झील को आज तक केवल एक धार्मिक व पिकनिक स्थल के रूप में ही जाना जाता रहा है लेकिन अब मानसर को एक ऐसे पर्यटन स्थल के रूप में पेश किया गया है जिसने युवा दिलों में भी दस्तक दी है। पहली बार मानसर झील के आसपास के प्राकृतिक सौंदर्य को उभार कर सामने लाया गया है जिससे आने वाले दिनों में यह एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल के रूप में सामने आएगा।
सुरुईंसर-मानसर डेवलपमेंट अथारिटी की ओर से गत रविवार को मानसर से माहौरगढ़ के लिए हेरिटेज ट्रैकिंग का आयोजन किया गया। मानसर से माहौरगढ़ तक के पारंपरिक रूट को ट्रैकिंग के रूप में पेश किया गया और इसमें काफी संख्या में युवाओं ने भाग लिया। अभी तक मानसर तक जो लोग भी पहुंचते थे, वो ज्यादा से ज्यादा झील का भ्रमण कर लौट आते थे लेकिन अब पर्यटकों के लिए अथारिटी ने एक नया विकल्प खोला है। ऐसे में अगर इस ट्रैक को कुछ प्रोत्साहित किया जाए तो आने वाले दिनों में यह अपने-आप में एक पर्यटन स्थल के रूप में उभर कर सामने आ सकता है।
पांच किलोमीटर है ट्रैक
मानसर झील से माहौरगढ़ तक का ट्रैक पांच किलोमीटर का है। पूरा रास्ता प्राकृतिक सौंदर्य से भरा पड़ा है और ऊंचाई से क्षेत्र की खूबसूरती निहारी जा सकती है। इस ट्रैकिंग में हिस्सा लेने वाले सुक्रीत गुप्ता के अनुसार ऊंचाई से नीली मानसर झील का नजारा लिया जा सकता है जो किसी अद्भुत नजारे से कम नहीं। सुक्रीत बताते है कि अगर सुबह नौ बजे ट्रैकिंग आरंभ की जाए तो दोपहर दो बजे तक आराम से वापस लौटा जा सकता है। जम्मू में उन्होंने इससे बेहतर ट्रैक आज तक नहीं देखा। इस ट्रैक पर प्राकृतिक खूबसूरती कूट-कूट कर भरी है जिससे थकावट का एहसास नहीं होता।
अगले महीने होगी साइकिल रैली
सुरुईंसर-मानसर डेवलपमेंट अथारिटी के चीफ एग्जीक्यूटिव आफिसर नागेंद्र जम्वाल के अनुसार इस रविवार को हेरिटेज वॉक का आयोजन किया जा रहा है और अगले महीने जम्मू से सुरुईंसर से होते हुए मानसर तक साइकिल रैली आयोजित करने की योजना है। जम्मू-सुरुईंसर-मानसर रोड भी प्राकृतिक सौंदर्य से भरा है और उनका प्रयास है कि इसे युवाओं में लोकप्रिय बनाया जाए। मानसर-माहौगढ़ ट्रैकिंग का प्रयोग काफी सफल रहा है और उम्मीद है कि लोग, विशेषकर युवा इस ओर रूख करेंगे।
किले का हो जीर्णोद्धार तो बने बात
माहौरगढ़ के ऐतिहासिक किले के नाम पर आज वहां केवल प्रवेश द्वार व साथ लगती दीवार ही शेष बची है। किले के प्रवेश द्वार व दीवार से ही इस किले के शौर्य का अंदाजा लग जाता है और अगर इसे किले का जीर्णोद्धार किया जाए तो यह किला यहां आने वाले पर्यटकों के लिए मुख्य आकर्षण साबित हो सकता है।