जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल अस्पताल का बिल देखकर क्यों हो गए थे परेशान
राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने राज्य में आयुष्मान योजना की शुरुआत करते हुए इस योजना को गरीबों के लिए वरदान बताया। उन्होंने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि तीन साल पहले उन्हें चिकनगुनिया हो गया। 21 दिन अस्पताल में रुकना पड़ा। उनका बिल तीन लाख अस्सी हजार रुपये बना। उस दिन बैंक बंद था और उनके पास सिर्फ 70 हजार रुपये ही थे। वह दो घंटे उनके लिए परेशानी वाले थे। लेकिन उसमें उनके सहायक की गलती थी। उनके पास जीजेएचएस का कार्ड था लेकिन उनके सहायक ने अस्पताल वालों को बताया नहीं था। उस समय मैंने जिससे भी रुपये मांगे, सब छुट्टी का हवाला देकर मना कर गए। मैं सांसद और विधायक रह चुका था, लेकिन इतना लाचार कभी नहीं था। बाद में मुझे सुपरिंटेंडेंट से बात करनी पड़ी। उसने मेरा कार्ड स्वीकार किया। मैं छह हजार में बच गया। यह इलाज का बिल बड़ा खतरनाक होता है। मैं एस्कार्ट अस्पताल में था। मेरी पत्नी को पेस मेकर पड़ा है। मेरे बगल में एक गरीब व्यक्ति था। उसका अठारह साल का बच्चा बीमार था। वह जमीन बेच कर पोटली में रुपये लेकर आया था। उसका कहना था कि उसे पता है कि उसका बच्चा नहीं बचेगा, लेकिन वह बाप है। पूरी कोशिश करेगा। भारत में घर-घर की यह कहानी है। मोदी जी ने यह योजना लांच कर सबको इस परेशानी से बाहर कर दिया, मैं उन्हें बधाई देता हूं।
देश के दस करोड़ परिवारों को होगा लाभ
राज्यपाल ने कहा कि आयुष्मान योजना वही शुरू कर सकता था, जिसने किसी गरीब का दर्द समझा हो। यह योजना मोदी जी ही शुरू कर सकते थे। राज्यपाल ने कहा कि उन्होंने ऐसे कई घर देखे हैं जहां पर बीमारी के कारण लोगों के खेत, घर बिक चुके हैं। अस्पताल में उन्हें कहा जाता है कि पांच लाख रुपये लाओ, तभी इलाज होगा। मगर यह ऐसी योजना है, जिसमें देश के दस करोड़ परिवारों के पचास करोड़ से अधिक लोगों को लाभ होगा।
डॉक्टर भगवान, नर्स देवी
राज्यपाल ने कहा कि एक दिन पहले वह श्री माता वैष्णो देवी नर्सिंग इंस्टीट्यूट के कार्यक्रम में भाग लेने गए थे। वहां मैंने कहा कि किसी ने ईश्वर को नहीं देखा, लेकिन जब कोई व्यक्ति बीमार होता है और ऑपरेशन के लिए जाता है। उस समय ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर में उसे देवता दिखाई देता है। उन्होंने कहा कि उनकी पत्नी बीमार थीं। रात को दो बजे जब वह वार्ड की नर्स को बुलाते थे और जिस तरह से वह दौड़ती थी, उस नर्स में उन्हें देवी नजर आती थी।
बेफिक्र होकर बीमार हो जाओ
राज्यपाल ने लाभार्थियों को गोल्डन कार्ड देते हुए एक को मजाक में कहा कि बेफिक्री से बीमार हो जाओ। उन्होंने कहा, इस कार्ड की जरूरत न ही पड़े तो अच्छा है, लेकिन अगर पड़ती है तो बहुत लाभकारी है।