अंग्रेजों के शासन की याद दिलाएगी हेरिटेज ट्रेन
लोगों के लिए हेरिटेज रेल की सवारी जल्द शुरू होने वाली है। कालाकुंड और पातालपानी के बीच सन 1856 में अंग्रेजी राज में बिछाई गई यह लाइन खत्म होने से बच रही है। रेलवे के मुताबिक यह पूरा क्षेत्र एक तरह का पूरी तरह काम करने वाला रेल संग्रहालय भी होगा। रेलवे की इसके लिए तैयारियां जारी हैं।
पातालपानी से कालाकुंड के बीच का ट्रैक इस पूरे क्षेत्र का एक बेहद खास हिस्सा होगा। यहां न सिर्फ डेढ़ सौ साल पुराना मीटरगेज ट्रैक होगा, बल्कि करीब इतने ही पुराने रेलवे के उपकरण भी होंगे जो इस ट्रैक पर ट्रेन को चलाएंगे। पातालपानी रेलवे स्टेशन पर लगे ये उपकरण अब इस पूरे मंडल में केवल इसी क्षेत्र में बचे हैं। रेलवे के इस प्रयास को पर्यटकों का सहारा मिला तो यहां आने वाले कई वर्षों तक बने भी रहेंगे।
पुराने स्टेशनों के गोडाउन से लाया जा रहा सामान
इन पुराने उपकरणों के अलावा रेलवे अन्य कई सामान और उपकरण भी यहां ला रहा है। ये सब बहुत से पुराने स्टेशनों के गोडाउन से लाए जा रहे हैं। इसके लिए एक अलग टीम बनाई गई है। अधिकारियों का कहना है कि यह स्टेशन और यहां का सामान ब्रिटिश दौर की याद भी दिलाएगी।
सिग्नलों की हो रही रंगाई-पुताई
पातालपानी रेलवे स्टेशन पर लगे रेल उपकरण लगातार संचालित हो रहे हैं। यहां ट्रेन को आगे बढ़ाने की अनुमति के तौर पर एक टोकन दिया जाता है। यह टोकन लेकर ही गाड़ी का ड्राइवर गाड़ी आगे बढ़ा सकता है। टोकन जिस उपकरण से निकलता है, उसे ब्लॉक उपकरण कहते हैं। पातालपानी स्टेशन में लगे ये ब्लॉक उपकरण मीटरगेज की शुरुआत से ही यहां लगे हैं। इसके अलावा यहां इंटरलॉकिंग के लिए अभी भी चाबी प्रणाली के उपकरण लगते हैं। वहीं शुरुआत में उपयोग होने वाले सिग्नल की रंगाई-पुताई लगातार की जा रही है।