दिल्ली हाई कोर्ट ने दवाइयों की ऑनलाइन बिक्री पर लगाई रोक, जानें कारण
दिल्ली में बड़े पैमाने पर प्रतिदिन ऑनलाइन हो रही दवाओं की बिक्री के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया। मुख्य न्यायमूर्ति राजेंद्र मेनन व न्यायमूर्ति वीके राव की पीठ ने जनहित याचिका पर अंतरिम आदेश देते हुए दवाओं की ऑनलाइन बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया।
मुख्य पीठ ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि इंटरनेट के जरिये हो रही दवाओं की बिक्री पर पूरी तरह से रोक लगा दी जाए, ताकि मरीजों की जान से खिलवाड़ न हो सके। डॉ. जहीर अहमद की जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद मुख्य पीठ ने दिल्ली सरकार को आदेश दिया कि इसे तत्काल लागू करवाया जाए।
याचिकाकर्ता जहीर अहमद ने ऑनलाइन दवाओं को बिक्री को लेकर जनहित याचिका दायर कर सवाल उठाया था कि बगैर डॉक्टरों के परामर्श के लाखों दवाइयां इंटरनेट के जरिये बिना किसी नियम-कानून के खरीदी-बेची जा रही हैं। इससे मरीज की जान को तो खतरा होता ही है, डॉक्टरों के लिए भी बड़ी परेशानी खड़ी हो गई है। जहीर अहमद ने मुख्य पीठ के समक्ष दलील दी थी कि बिना डॉक्टर के परामर्श के ऑनलाइन दवाओं की बिक्री नियमों के विरुद्ध है और अवैध है।
याचिकाकर्ता ने कोर्ट का ध्यान आकर्षित करते हुए यह भी बताया था कि इंटरनेट पर कई ऐसी दवाएं बिना रोकटोक के बेची जा रही हैं, जो केवल डॉक्टर की सलाह के बाद ही दी जा सकती हैं। उन्होंने ऑनलाइन दवाइयों की बिक्री को ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट-1940 और फार्मेसी एक्ट- 1948 के नियमों का उल्लंघन बताया था। उन्होंने सरकार की मंशा पर सवाल खड़ा करते हुए दवाओं की ऑनलाइन बिक्री पर रोक लगाने की मांग की थी।