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राजस्थान में स्वाइन फ्लू ने पसारे पैर, अब तक 36 लोगों की मौत

प्रदेशभर में मौत बनकर उभर रहे स्वाइन फ्लू की रोकथाम के लिए चिकित्सा विभाग अब डबल-एक्शन मोड में आ गया है. एक तरफ जहां लोगों को बीमारी के प्रति अवेयर करने के लिए जनजागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. वहीं दूसरी ओर प्रदेश में सबसे विश्वसनीय एसएमएस मेडिकल कॉलेज ने स्वाइन फ्लू के बढ़ते मामलों को देखते हुए इसके पीछे की वजह पता करने के लिए रिसर्च पर फोकस शुरू कर दिया है.

प्रदेश में स्वाइन फ्लू के बदलते प्रकोप में चिकित्सा विभाग की चिंता बढ़ा दी है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से लेकर चिकित्सा मंत्री डा. रघु शर्मा तक स्वाइन फ्लू की रोकथाम के लिए मॉनिटरिंग कर रहे है. जयपुर से लेकर संभाग मुख्यालय से वरिष्ठ चिकित्सकों की टीम फील्ड में जाकर यह पता लगाने की कोशिश में जुटी है कि आखिर एकाएक स्वाइन फ्लू के मामले क्यों बढ़ रहे है क्योंकि पिछले सालों में जब एकाएक केस बढ़े थे तो रिसर्च में पता चला कि वायरस के केलिफोर्निया से मिशिगन स्ट्रेन में बदलाव के चलते ऐसी भयावह स्थिति देखने को मिल रही है. इन पुराने अनुभवों को देखते हुए एसएमएस मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डा. सुधीर भण्डारी के निर्देश पर माइक्रोबाइलॉजी डिपार्टमेंट ने पिछले एक सप्ताह से रेण्डल सैम्पल अलग करना शुरू कर दिया है.

इन सैम्पलों को जल्द भी पुणे स्थित नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ वाइरोलॉजी में भेजा जाएगा. एसएमएस मेडिकल कॉलेज प्रशासन एक तरफ जहां स्वाइन फ्लू के स्टेन में बदलाव की जांच के लिए सैम्पल पुणे भेज रहा है, वहीं दूसरी ओर स्थानीय स्तर पर यह भी शोध जारी है कि मौजूदा टेमी फ्लू का असर कम तो नहीं हो रहा है. चिकित्सकों का दावा है कि मौजूद टेमी फ्लू पूरी तरह कारगर है. बशर्ते मरीज समय पर जांच कराकर दवा का सेवन शुरू कर दें.

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