कुंभ में सभी को निराला लगता है नागा साधुओं का शृंगार
हम सभी इस बात से वाकिफ हैं कि प्रयागराज में कुंभ मेला प्रारंभ हो चुका है और कुंभ मेले का देशी और विदेशी मेहमानों को बेसब्री से इंतजार होता है. ऐसे मे कहते हैं कि यहां आने वाला हर व्यक्ति कुंभ के रंग में रंगा नजर आता है और सभी भोले की भक्ति मे रम जाते हैं. ऐसे मे एक ओर कुंभ मेले में आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम यहां आने वाले देशी और विदेशी सैलानियों के आकर्षण का केंद्र होते हैं वहीं साधुओं का विशेष श्रृंगार भी लोगों के कौतूहल का विषय होता है सभी उनके श्रृंगार को देखकर हैरान हो जाते हैं. इसी के साथ यह माना जाता है कि कुंभ में स्नान करने से व्यक्ति के पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है. ऐसे मे ऐसा भी मानते हैं कि मृत्यु के पश्चात व्यक्ति को जन्म – मरण के बंधन से छुटकारा मिलता है और वह देवलोक को गमन करता है.
अगर बात करें शास्त्रों की तो शास्त्रों के अनुसार, जब देव और दानवों में अमृत कलश के लिए युद्ध हुआ तो अमृत की पहली बूंद प्रयाग में गिरी, दूसरी बूंद हरिद्वार में गिरी, तीसरी बूंद उज्जैन में गिरी और चौथी अमृत की बूंद नासिक में जाकर गिरी. यही कारण है कि इन चार जगहों पर प्रत्येक 12 वर्ष बाद कुंभ का आयोजन किया जाता है.